नयी दिल्ली, : न्यायमूर्ति डी. बी. भोंसले ने निजी कारणों का हवाला देते हुए भ्रष्टाचार-रोधी इकाई लोकपाल के सदस्य पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्हें नौ महीने पहले इस संवैधानिक पद पर नियुक्त किया गया था।
भोंसले ने विस्तृत जानकारी दिए बिना ट्वीट किया, ‘‘ लोकपाल के न्यायिक सदस्य पद से निजी कारणों के चलते छह जनवरी को इस्तीफा दे दिया, जो 12 जनवरी 2020 से प्रभावी होगा।’’
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति भोंसले को लोकपाल अध्यक्ष न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष ने 27 मार्च 2019 को पद की शपथ दिलाई थी। लोकपाल सदस्य को पांच साल के कार्यकाल या फिर उसके 70 साल की उम्र का होने तक के लिए नियुक्त किया जाता है।
स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार से संबंध रखने वाले 63 वर्षीय भोंसले बंबई उच्च न्यायालय और कर्नाटक उच्च न्यायालय में न्यायाधीश रह चुके हैं। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्यों के लिए हैदराबाद उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के तौर पर भी उन्होंने 15 महीने (2015-2016) तक अपनी सेवाएं दीं।
नियमों के अनुसार, लोकपाल पैनल में एक अध्यक्ष और अधिकतम आठ सदस्य होने का प्रावधान है। इनमें से चार का न्याय तंत्र से होना जरूरी है।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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