जयपुर।
केरल व पंजाब विधानसभा के बाद आज राजस्थान विधानसभा ने भी नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रस्ताव पास किया।
केरल और पंजाब के बाद ऐसा प्रस्ताव पास करने वाला राजस्थान तीसरा राज्य बन गया है। राजस्थान विधानसभा में सीएए के साथ ही एनपीआर में हुए संशोधनों को लेकर भी संकल्प पास हुआ। इसके अलावा केरल व पंजाब से हटकर राजस्थान पहला ऐसा राज्य है, जहां एनपीआर के संशोधनों को लेकर कोई संकल्प भी पास किया गया है। केरल विधानसभा ने इकतीस दिसंबर 2019 व पंजाब विधानसभा ने सतराह जनवरी को नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रस्ताव पास किया था। इसके बाद विधानसभा की कार्यवाही 10 फरवरी सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
शनिवार को जब सदन में सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया गया तो विपक्ष ने भारी विरोध किया। भाजपा सदस्य वेल में चले आए और सीएए के समर्थन में नारे लगाए। इससे पहले एससी-एसटी आरक्षण को बढ़ाने वाला 126 वां संशोधन प्रस्ताव भी पारित किया गया।
राजस्थान विधानसभा में सीएए के खिलाफ पेश प्रस्ताव में कहा गया कि संसद द्वारा अनुमोदित सीएए के जरिए धर्म के आधार पर अवैध प्रवासियों को निशाना बनाया गया है। धर्म के आधार पर ऐसा भेदभाव ठीक नहीं है। यह संविधान की धर्मनिरपेक्ष वाली मूल भावना के खिलाफ है। यही कारण है कि सीएए के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन हो रहे हैं। संकल्प में एनआरसी और असम का भी जिक्र किया गया है।। भाजपा ने कहा कि कानून तो आपको लागू करना ही पड़ेगा। विधानसभा में बहस के दौरान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा, ‘‘जब संसद ने यह कानून (सीएए) पारित कर दिया तो फिर आप इसे लागू क्यों नहीं कर रहे हैं। यह कानून तो आपको लागू करना ही पड़ेगा। दुनिया की कोई ताकत इसे नहीं रोक सकती।’’
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रस्ताव पास होने के बाद कहा कि केंद्र की मोदी सरकार द्वारा सीएए व एनआरसी जैसे बनाये काले कानून के खिलाफ प्रस्ताव रखा, जिसको सदन ने पास किया। उन्होंने यह भी कहा कि वो ऐसे काले कानून को लागू नही करेंगे।
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