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कश्मीर मामले से जुड़ा घटनाक्रम

नयी दिल्ली, : उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण व्यवस्था में कहा कि बोलने की आजादी और इंटरनेट पर कारोबार को संविधान से संरक्षण प्राप्त है। न्यायालय ने इसके साथ ही जम्मू कश्मीर प्रशासन को निर्देश दिया कि प्रदेश में प्रतिबंध लगाने संबंधी आदेशों की तत्काल समीक्षा की जाये। इस मामले में गत पांच महीनों का घटनाक्रम इस प्रकार रहा।

पांच अगस्त 2019 : केंद्र सरकार ने प्रस्ताव पारित कर अनुच्छेद-370 के प्रावधानों को निरस्त किया जिसके जरिये जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्राप्त था।

छह अगस्त 2019 : अधिवक्ता एमएल शर्मा ने उच्चतम न्यायालय का रुख किया और अनुच्छेद-370 के प्रावधानों को निरस्त करने के फैसले को चुनौती दी।



10 अगस्त 2019 : कश्मीर टाइम्स की संपादक अनुराधा भसीन ने अनुच्छेद-370 के प्रावधानों को निरस्त करने के बाद मीडिया पर कथित पाबंदियों के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया।



24 अगस्त 2019 : भारतीय प्रेस परिषद ने केंद्र और जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा संचार साधनों पर लगाई गई पाबंदियों को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी।



28 अगस्त 2019 : उच्चतम न्यायालय ने कश्मीर टाइम्स की संपादक द्वारा पत्रकारों से कथित पाबंदी हटाने को लेकर दायर याचिका पर केंद्र और जम्मू-कश्मीर सरकार को नोटिस जारी किया।



पांच सितंबर 2019 : उच्चतम न्यायालय ने मामले से जुड़ी सभी याचिकाओं पर सुनवाई के लिए 16 सितंबर की तारीख तय की।



16 सितंबर 2019 : उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार को कश्मीर में हालात सामान्य बनाने को लेकर निर्देश दिये।



16 अक्टूबर 2019 : उच्चतम न्यायालय ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन से संचार साधनों पर लगाई गई पांबदी का आदेश उसके समक्ष रखने को कहा।



24 अक्टूबर 2019 : उच्चतम न्यायालय ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन से पूछा घाटी में पाबंदियां कब तक जारी रहेंगी।



छह नवंबर 2019 : उच्चतम न्यायालय ने जम्मू-कश्मीर में पाबंदियों के दौरान सार्वजनिक परिवहन के परिचालन को लेकर रिपोर्ट तलब की।



27 नवंबर 2019 : जम्मू-कश्मीर में पाबंदियों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय ने फैसला सुरक्षित किया।



10 जनवरी 2020 : उच्चतम न्यायालय ने जम्मू-कश्मीर से पाबंदियों से संबंधित आदेशों की एक हफ्ते में समीक्षा करने को कहा।


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