चंडीगढ़, : पंजाब सरकार को बड़ा झटका देते हुए केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) ने पुलिस प्रमुख पद पर दिनकर गुप्ता की नियुक्ति शुक्रवार को खारिज कर दी।
कैट अध्यक्ष एल नरसिम्हा रेड्डी और एम जमशेद की दो सदस्यीय पीठ ने मोहम्मद मुस्तफा और सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय की एक अपील पर यह फैसला दिया।
पीठ ने 54 पृष्ठों के अपने आदेश में, संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) और पैनल तैयार करने वाली समिति को डीजीपी के पद पर नियुक्ति के लिए तीन वरिष्ठतम अधिकारियों का एक नया पैनल बनाने और चार सप्ताह के भीतर यह कवायद पूरा करने का निर्देश दिया।
पिछले साल दायर याचिका में, दोनों पुलिस अधिकारियों ने कहा कि वे गुप्ता से वरिष्ठ हैं और उनके सेवा रिकॉर्ड बेहतरीन हैं। उन्होंने याचिका में आरोप लगाया कि तत्कालीन डीजीपी सुरेश अरोड़ा की अध्यक्षता वाली समिति ने पैनल तैयार किया था और चटोपाध्याय के खिलाफ अरोड़ा पूर्वाग्रह से ग्रस्त थे।
मुस्तफा 1985 बैच के अधिकारी हैं वहीं चट्टोपाध्याय 1986 बैच के अधिकारी हैं जबकि गुप्ता 1987 बैच के अधिकारी हैं।
उनके वकील आत्मा राम ने कहा कि यूपीएससी ने राज्य के डीजीपी पद पर नियुक्ति के लिए उनके मुवक्किलों की अनदेखी की।
गुप्ता को 2019 में डीजीपी नियुक्त किया गया और उन्होंने अरोड़ा का स्थान लिया था।
मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा कि यह मामला यूपीएससी और कैट के बीच का है और "दिनकर गुप्ता अब भी डीजीपी हैं।"
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार कैट के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकती है।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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