जयपुर, : दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हाल ही में हुई तोड़फोड़ एवं मारपीट की घटना की निंदा करते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को कहा कि इसकी न्यायिक जांच होनी चाहिए ।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी मुख्यालय में यहां संवाददाताओं से बातचीत में गहलोत ने कहा, 'जेएनयू में नकाबपोश लोग घुसे, पुलिस की देखरेख में घुसे, तांडव मचाया, सरियों से और लाठियों से। बाहर निकले पुलिस घेरे (एस्कार्ट) में। हिंदुस्तान के इतिहास में कभी ऐसी घटना सुनी नहीं होगी जो पुलिस की देखरेख में हुई फिर भी पुलिस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।'
गहलोत ने कहा, 'अभी तक तो वहां के पुलिस के सभी अधिकारी भी निलंबित होने चाहिए थे, बल्कि निष्कासित होने चाहिए थे नौकरी से। जिनकी निगरानी में गुंडे लोग गए हों नकाब पहनकर के। उनको एस्कार्ट करके बाहर लाया गया हो, इसकी जांच होनी चाहिए।'
उन्होंने कहा, 'इसकी न्यायिक जांच होनी चाहिए कि किसकी शह पर पुलिस वालों की इतनी हिम्मत बढ़ गई कि वे गुंडों को अंदर ले गए, बाहर लाए। किसका इशारा था ऊपर से उसकी भी जांच होनी चाहिए। न्यायिक जांच होनी चाहिए।'
गहलोत ने कहा, ‘‘क्या हो रहा है देश की राजधानी के अंदर सरकार की नाक के नीचे, इसका जवाब देना चाहिए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जवाब देना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि कोटा के एक अस्पताल में नवजात शिशुओं की मौत के मामले में मीडिया ट्रायल हुई और कुछ नेताओं ने राजनीति की जिससे पूरे देश में राजस्थान की बदनामी हुई।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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