सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय ने जिला अदालतों में भर्तियों के लिए दी अधिसूचना वापस ली

जम्मू, :  जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर और लद्दाख की जिला अदालतों में 33 गैर राजपत्रित पदों को भरने के लिए दी विज्ञापन अधिसूचना वापस ले ली है।

विपक्ष ने गत वर्ष अगस्त में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद सभी भारतीयों से आवेदन मंगाए जाने का कड़ा विरोध किया था।

जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय के महापंजीयक संजय धार ने 26 दिसंबर 2019 को रिक्तियों को भरने के लिए विज्ञापन दिया था। इसमें आवेदन भरने की आखिरी तारीख 31 जनवरी 2020 दी गई थी।

धार ने मंगलवार शाम को एक ताजा अधिसूचना जारी कर कहा, ''सभी संबंधित लोगों की जानकारी के लिए यह अधिसूचित किया जाता है कि 26 दिसंबर 2019 के विज्ञापन नोटिस को तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाता है जिसमें जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय में गैर राजपत्रित श्रेणी में अलग-अलग पदों के लिए आवेदन मांगे गए थे।''

अधिसूचना वापस लेने की कोई वजह नहीं बताई गई है लेकिन विभिन्न विपक्षी दलों के मुखर प्रदर्शन के बाद यह कदम उठाया गया है। नेशनल कांफ्रेंस, जेकेएनपीपी और वाम दलों समेत विभिन्न विपक्षी दलों ने जम्मू कश्मीर में सरकारी नौकरियों में स्थानीयों के लिए आरक्षण की मांग की है।

स्थानीय लोगों के लिए जम्मू कश्मीर में नौकरियों के मुद्दे पर एक सवाल का जवाब देते हुए जम्मू कश्मीर प्रशासन के प्रवक्ता रोहित कंसल ने मंगलवार को एक संवाददाता सम्मेलन ने कहा, ''सरकार को विभिन्न सुझाव मिले हैं और इनका अध्ययन किया जा रहा है।''


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम

  नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...

इफ्तार पार्टियों का आयोजन लगातार जारी।

  सीकर-राजस्थान।        जनपद मे माहे रमजान शुरू होने के साथ ही अनेक सामाजिक व शेक्षणिक संस्थाओं के अलावा व्यक्तिगत लोगो द्वारा इफ्तार का आयोजन का सीलसीला जारी है।    इस सीलसीले के तहत सीकर शहर मे आज इतवार को सीकर में पंचायत शेखावाटी लीलगरान और युवा कमेटी की तरफ से रोजा इफ्तार पार्टी का आयोजन सय्यदा मस्जिद फतेहपुर रोड़ भैरुपुरा कच्चा रास्ता सीकर में किया गया। ,जिसमे सैकड़ों रोजेदारों ने शिरकत की और प्रदेश में अमन चैन की दुआ मांगी,इफ्तार के बाद मगरिब की नमाज पढ़ी गई।

सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले मुस्लिम विरोधी हिंसक तत्वों का मनोबल बढ़ाने वाले हैं- शाहनवाज़ आलम

  नयी दिल्ली, 9 मार्च 202 5. न्यायालयों द्वारा पिछले कुछ दिनों से दिए गए विवादित फैसलों से यह संदेश जा रहा है कि मई में आने वाले सुप्रीम कोर्ट के नए मुख्य न्यायाधीश पर आरएसएस और भाजपा अपने सांप्रदायिक एजेंडे के पक्ष में दबाव डालने की रणनीति पर काम कर रहे हैं. सेकुलर सियासी दलों और नागरिक समाज को इन मुद्दों पर मुखर होने की ज़रूरत है. ये बातें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव शाहनवाज़ आलम ने साप्ताहिक स्पीक अप कार्यक्रम की 185 वीं कड़ी में कहीं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के जज का किसी को मियां तियाँ और पाकिस्तानी कहने को अपराध नहीं मानना साबित करता है कि सुप्रीम कोर्ट के कुछ जज मुस्लिम विरोधी हिंसा में हिंसक तत्वों द्वारा प्रतुक्त होने वाली इन टिप्पणियों को एक तरह से वैधता देने की कोशिश कर रहे हैं. इस फैसले के बाद ऐसे तत्वों का न सिर्फ़ मनोबल बढ़ेगा बल्कि वो इसे एक ढाल की तरह इस्तेमाल करेंगे और पुलिस में शिकायत दर्ज कराने जाने वाले पीड़ित मुस्लिमों का मुकदमा भी पुलिस नहीं लिखेगी. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि इससे पहले भी मस्जिद के अंदर जबरन घुसकर जय श्री राम के ना...