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हमारी शिक्षा प्रणाली को भारत के सांस्कृतिक मूल्यों, इतिहास और विरासत को परिलक्षित करना चाहिए: उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज कहा कि किसी भी ऐतिहासिक तथ्य को विकृत किए बिना शिक्षा प्रणाली का भारतीयकरण करने की आवश्यकता है।


श्री नायडू ने तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली स्थित श्रीमद अंदावन कला एवं विज्ञान महाविद्यालय के 21 वें स्नातक समारोह को संबोधित करते हुए कहा बड़ों, गुरु, प्रकृति और सभी धर्मों का सम्मान करना भारतीय संस्कृति का हिस्सा था। उन्होंने कहा कि भारतीय परिवार प्रणाली सबसे मजबूत और अनोखी प्रणाली थी क्योंकि यह बच्चों और युवाओं को सहिष्णु और सामाजिक रूप से चैतन्य व्यक्ति बनाती है।


उन्होंने कहा कि हमारी शिक्षा प्रणाली को भारत के सांस्कृतिक मूल्यों, इतिहास और विरासत को परिलक्षित करना चाहिए।


वीरपांडियन कट्टाबोमन, तिरुप्पुर कुमारन, बसवेश्वरा और अल्लूरी सीतारामाराजू जैसे महान स्वतंत्रता सेनानियों की वीरता और बलिदान की प्रेरक कहानियों को पाठ्य पुस्तकों में शामिल किया जाना चाहिए।


उन्होंने छात्रों से अपने कौशल को उन्नत करके और अपने ज्ञान को बढ़ाकर 21 वीं सदी की चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना करने का आग्रह करते हुए, कहा कि छात्रों को वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए शिक्षा प्रणाली के पुनर्विन्यास का समय आ गया है।


उपराष्ट्रपति ने कौशल भारत, मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया और स्टार्टअप इंडिया जैसी योजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि इन कार्यक्रमों ने युवाओं को अपनी प्रतिभा और उद्यमशीलता कौशल दिखाने के लिए अपार अवसर प्रदान किए।


उन्होंने कहा, "जैसा कि हमारा देश 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए आगे बढ़ रहा है, हमारे ऊर्जावान, नवोन्मेषी और उद्यमशील युवाओं को उस लक्ष्य को प्राप्त करने के प्रमुख भूमिका निभानी होगी।"


उपराष्ट्रपति ने ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और अन्य क्षेत्रों को मजबूत बनाने के लिए निजी क्षेत्र से सरकार के साथ हाथ मिलाने का आग्रह किया।


श्री नायडू ने बचपन से ही छात्रों के बीच संकल्प और सेवा की भावना प्रदान करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए, कहा कि प्रत्येक छात्र को सामाजिक रूप से जिम्मेदार बनना चाहिए और साझा करने और देखभाल के भारत के पुराने दर्शन के साथ सामुदायिक सेवाओं में भाग लेना चाहिए।


उन्होंने छात्रों को एनएसएस और एनसीसी जैसी गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करने का सुझाव दिया क्योंकि यह टीम की भावना और भाईचारे को बढ़ावा देगा।


श्री नायडू ने बदलती जीवनशैली और आहार संबंधी आदतों के कारण गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) की बढ़ती घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए युवाओं को जंक फूड से बचने की सलाह दी। उन्होंने यह भी इच्छा जताई की युवा नियमित शारीरिक गतिविधियों में भाग लेकर स्वस्थ बने रहें।


इससे पहले, श्रीमद अंदावन कॉलेज के रास्ते में, कावेरी नदी की भव्यता देखने के लिए उपराष्ट्रपति अपनी कार से उतरे। उन्होंने सभी नदियों की रक्षा और कायाकल्प के लिए सामूहिक प्रयासों का आह्वान किया क्योंकि नदियां मानव सभ्यता की जीवन रेखा हैं।


इस अवसर पर तमिलनाडु सरकार के पर्यटन मंत्री थिरु वेललामंडी नटराजन, अंदावन आश्रम की राष्ट्रीय कार्यकारी समिति के अध्यक्ष श्री आर. राजगोपाल, सचिव और कोरेसपोन्डेंट श्री सी.ए. अम्मांजी वी. बालाजी, एसआरपीवीटी के अध्यक्ष श्री एन. गोपालस्वामी, न्यासी बोर्ड के निदेशक, प्राचार्य, कर्मचारी और श्रीमद अंदावन कला और विज्ञान महाविद्यालय के छात्र उपस्थित थे।


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