नयी दिल्ली, : टाटा समूह की अग्रणी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सविर्सिज (टीसीएस) ने भी एनसीएलएटी के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया है। एनसीएलएटी ने हाल के अपने आदेश में साइरस मिस्त्री को फिर से कंपनी का निदेशक बनाने का फैसला सुनाया है।
शेयर बाजारों को भेजी सूचना में टीसीएस ने कहा है कि राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने 18 दिसंबर 2019 के अपने फैसले में साइरस मिस्त्री को उनके बचे कार्यकाल के लिये कंपनी का निदेशक बनाये जाने का निर्देश दिया है। '' ..... कंपनी ने कानूनी राय के आधार पर 3 जनवरी 2020 को माननीय उच्चतम न्यायालय में अपील दर्ज की है। इसमें न्यायाधिकरण के फैसले को खारिज करने और जहां तक कंपनी से संबंध की बात है फैसले के अमल पर अंतरिम रूप से स्थगन दिये जाने का अनुरोध किया गया है।'' उल्लेखनीय है कि एनसीएलएटी ने अपने बहुप्रतिक्षित फैसले में साइरस मिस्त्री को फिर से टाटा संस के कार्यकारी चेयरमैन पद पर बिठाने को कहा गया है। इस फैसले में एन चंद्रशेखरन को टाटा संस के चेयरमैन पद पर नियुक्त करने को भी अवैध बताया गया। टाटा संस नमक से लेकर साफ्टवेयर बनाने वाले समूचे टाटा समूह की कंपनियों की होल्डिंग कंपनी है।
एनसीएलएटी के 18 दिसंबर के फैसले के बाद टाटा संस ने सबसे पहले उच्चतम न्यायालय का रुख किया। इसके बाद टाटा समूह के वयोवृद्ध और कई साल तक चेयरमैन रह चुके रतन टाटा ने भी उच्चतम न्यायालय में फैसले को चुनौती देने वाली याचिका दायर की। उन्होंने एनसीएलएटी के फैसले को ''मामले के रिकार्ड के प्रतिकूल, गलत और अशुद्ध बताया।''
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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