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दिल्ली की अदालत ने पांच वर्षीय बच्ची से बलात्कार के दो दोषियों को 20 वर्ष कैद की सजा सुनायी

नयी दिल्ली,:: दिल्ली की एक अदालत ने पूर्वी दिल्ली में 2013 में पांच वर्षीय बच्ची से बलात्कार के दो दोषियों को बृहस्पतिवार को 20 वर्ष जेल की सजा सुनायी। अदालत ने कहा कि बच्ची ने ‘‘असाधारण कुकृत्य एवं अत्यधिक क्रूरता’’ का अनुभव किया।


अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश नरेश कुमार मल्होत्रा ने साथ ही पीड़िता को 11 लाख रुपये का मुआवजा भी प्रदान किया।


पीड़िता की ओर से पेश हुए अधिवक्ता एच एस फूलका ने कहा कि वह आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील करेंगे और दोनों दोषियों को आजीवन कारावास का अनुरोध करेंगे।


अदालत ने गत 18 जनवरी को मनोज शाह और प्रदीप कुमार को दोषी ठहराया था।


गांधीनगर में 15 अप्रैल 2013 को हुई इस वीभत्स घटना में दोषियों ने पीड़िता के निजी अंगों में कोई वस्तु घुसा दी थी और उसे मृत समझ कर एक कमरे में छोड़ दिया था। बच्ची को 40 घंटे बाद 17 अप्रैल को कमरे से निकाला गया था।


100 से अधिक पृष्ठों के अपने फैसले में अदालत ने कहा, ‘‘हमारे समाज में छोटी बच्चियों को कई मौकों पर देवी के तौर पर पूजा जाता है लेकिन वर्तमान मामले में पीड़ित बच्ची, जो घटना के समय करीब पांच वर्ष की थी, ने असाधारण कुकृत्य और अत्यधिक क्रूरता का सामना किया।’’


अदालत ने कहा कि पीड़िता के खिलाफ अपराध को विचित्र तरीके से अंजाम दिया गया और इससे समुदाय का अंतःकरण हिल गया।


यह घटना 23 वर्षीय पैरामेडिकल छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार एवं हत्या मामले के चार महीने बाद हुई थी। उक्त पैरामेडिकल छात्रा को निर्भया नाम दिया गया था।


अदालत ने शाह और कुमार को भारतीय दंड संहिता की धारा 363, 342, 201, 304, 376 (2), 377 और 34 तथा पोक्सो कानून की धारा छह के तहत दोषी ठहराया था।


शाह और कुमार को बिहार में मुजफ्फरपुर और दरभंगा से क्रमश: 20 अप्रैल और 22 अप्रैल 2013 को गिरफ्तार किया गया था।


पुलिस ने कहा था कि पीड़िता के शरीर से कुछ चीजें निकाली गई थीं जिसमें मोमबत्ती के तीन टुकड़े और बाल में लगाये जाने वाले तेल की एक बोतल शामिल थी। यह बात अदालत में चिकित्सकों द्वारा दर्ज कराये गए बयानों से भी साबित हुई थी।


दिल्ली स्थित एम्स में बच्ची की कई सर्जरी भी की गई थी।


इस घटना को लेकर नाराज छात्र एवं महिलाएं दिल्ली की सड़कों की उतरी थीं और इंडिया गेट, पुलिस मुख्यालय और तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के आवासों के पास प्रदर्शन किये थे।


सिंह ने कहा था कि समाज से ऐसे ‘‘कुकृत्य’’ को जड़ से समाप्त करने के लिए एक सामूहिक प्रयास की जरूरत है।


2014 में कुमार अदालत पहुंचा था और दावा किया था कि गिरफ्तारी के समय वह एक किशोर था।


निचली अदालत को उसकी उक्त अर्जी पर निर्णय करने में तीन वर्ष लगे और उसने अप्रैल 2017 में मामले को किशोर न्याय बोर्ड को सौंप दिया था जिसने उसे जून में जमानत दे दी।


इसके बाद कुमार को किशोर घोषित करने के निचली अदालत के फैसले के खिलाफ बलात्कार पीड़िता की मां दिल्ली उच्च न्यायालय पहुंची। उच्च न्यायालय ने 2018 में घोषणा की कि वह किशोर नहीं है और मामले को सुनवायी के लिए सत्र अदालत को भेज दिया।


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