जयपुर।
राजस्थान मे मानव के हक व अधिकार को लेकर हरदम मोर्चा सम्भालने वाली सामाजिक कार्यकर्ता कविता श्रीवास्तव व अरुणा राय की टीम की इंसाफाना व लोकतांत्रिक तरिको से आंदोलन की झलक इन दिनो दिल्ली के जामीया मीलीया यूनिवर्सिटी के पास शाहीनबाग मे एक पंखवाड़े से हाड कंपकंपा देने वाली सर्दी मे दिन रात सड़क पर बैठकर हर उम्र की महिलाओं द्वारा शांतिपूर्वक आंदोलन करने पर याद ताजा कर रही है।
केंद्र मे मोजूद सरकार द्वारा संविधान के खिलाफ सीएए कानून बनाने के खिलाफ जब जामीया के आस पास के लोगो द्वारा शांतिपूर्ण विरोध करते समय हुई मामूली हिंसा को लेकर जब दिल्ली पुलिस ने जामीया यूनिवर्सिटी मे बीना इजाजत केम्पस मे घुसकर बाथरूम, लाईब्रेरी व केंटीन मे घुसकर स्टूडेंट्स को बरबरतापुर्वक पीटने के बाद जीस तरह छात्राओं ने पुलिस के खिलाफ तत्तकालीन समय मे साहस दिखाया उससे लगने लगा है कि अब भारतीय नारियों से सबको सबक लेना चाहिये। दिल्ली पुलिस पर जामीया केम्पस को जलियांवाला बाग बनाने का आरोप जड़ते हुये उस अन्याय व हत्याचार के साथ साथ सीएए व एनआरसी का विरोध करने के लिये उस क्षेत्र की दस से सो साल की उम्र की महिलाओं ने पीछले सत्रह दिनो से शताब्दियों का रिकॉर्ड तोड़ती शर्दी मे शांतिपूर्ण दिन-रात बैठकर सरकार को चेता रही है कि वो आंखें खोले ओर कानो से हक की आवाज को सूने वरना यही महिलाएं रानी लक्ष्मी बाई भी बन सकती है।
शाहीनबाग की महिलाओं द्वारा दिन रात सड़क पर किये जा रहे शांतिपूर्ण आंदोलन मे नवजात बच्चों की माओ से लेकर छात्राओं व नब्बे-सो साल की महिलाओं के एक पखवाड़े से अधिक समय से जारी आंदोलन का नजारा देख कर लगता है कि दब्बू किस्म की माने जाने वाली पर्दानसीन महिलाएं भी अन्याय के खिलाफ उठ खड़ी होकर रानी लक्ष्मीबाई का रुप धारण करके अंग्रेजों को भारत से भगाकर आजादी दिलवाने के लिये किये आजादी आंदोलन की याद ताजा कर रही है।
भारत का नामी एनडीटीवी के एक कार्यक्रम मे उम्रदराज तीन महिलाओं के शाहीनबाग की तीन दादियों के नाम से जारी कार्यक्रम के बाद तो लगने लगा है कि नब्बे साल की दादी अस्मा, सरवरी बेगम से लेकर हर उम्र की महिलाओं ने बहुत सी समझदारी से आंदोलन को लोकतांत्रिक तरिके से आगे बढाते हुये नयी पीढी को राह दिखा रही है कि बाबा साहब को संविधान के साथ छेडछाड करने पर वो भी शांतिपूर्ण आंदोलन चलाकर महात्मा गांधी के अहिंसात्मक रुप से अपनी बात सामने रख सकते है।
सीएए व पुलिस ज्यादती के खिलाफ जो दिल्ली मे आंदोलनरत महिलाएं है, उन महिलाओं मे अधीकांश महिलाएं उस तबके से तालूक रखती है। जिस तबके की महिलाओं को अनपढ, पर्दानसीन, व कमजोर कहा जाता है। इसके अलावा यह भी आरोप लगता रहा है कि तबके के पुरुष अपनी महिलाओं को दबाकर रखते है। उस तबके की महिलाएं अगर सफल आंदोलन करने के लिये सड़कों पर आकर अपने संविधानिक हक व हकूक की आवाज बूलंद करने लग जायेगी। तो भारत मे अलग तरह का सकारात्मक आंदोलन चल सकता है। ऐसी महिलाओं से प्रेरणा लेनी होगी।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
टिप्पणियाँ