अटल नवाचार मिशन और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम ने तीन दिवसीय यूथ को : लैब राष्ट्रीय नवाचार चुनौती की मेजबानी की
अटल नवाचार मिशन (एआईएम) नीति आयोग और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) ने पूरे देश में विगत में दो चरणों में आयोजित सफल चुनौतियों की श्रृंखला के बाद तीन दिवसीय यूथ को : लैब – राष्ट्रीय नवाचार चुनौती की मेजबानी की। एआईएम और यूएनडीपी ने युवा नेतृत्व नवाचार के उत्प्रेरण द्वारा युवाजनों की सहायता तथा यूथ को: लैब के माध्यम से उन्हें सशक्त बनाने का प्रयास किया। इन प्रयासों से चार विजेता टीमों ने इस वर्ष अप्रैल में मलेशिया में आयोजित होने वाले यूथ को: लैब क्षेत्रीय नवाचार चुनौती में भारत का प्रतिनिधित्व करने की सूची में जगह बनाई। यूथ को: लैब पहले एआईएम और यूएनडीपी के सहयोग से शुरू किया गया। इसका उद्देश्य प्रौद्योगिकी को प्रोत्साहन देना और देश में युवा नेतृत्व और सामाजिक उद्यमिता को बढ़ावा देना है।
यूथ को : लैब – राष्ट्रीय नवाचार चुनौती के पहले चरण के हिस्से के रूप में चार शहरों ज्योति फाउंडेशन (बेंगलुरू), एआईसी-रामभाऊ म्हालगी प्रबोधिनी फाउंडेशन (मुंबई), एआईसी-प्रेस्टीज इंस्पायर फाउंडेशन (इंदौर) और महामना फाउंडेशन फॉर इनोवेशन एंड एंटरप्रेन्योरशिप –आईएम-बीएचयू (वाराणसी) में नवाचार चुनौतियों की एक श्रृंखला का आयोजन किया गया।
इस आयोजन में 60 से अधिक टीमों ने भाग लिया जिनमें से शीर्ष 15 विजेता टीमों ने दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय नवाचार चुनौती में भाग लिया। अन्य 15 टीमों को अटल इन्क्यूबेशन केन्द्रों में शुरू किए गए स्टार्टअप्स के पूल से नामांकन के माध्यम से चुना गया। इसके बाद यूएनडीपी और अटल नवाचार मिशन ने 17 से 19 जनवरी, 2020 तक दिल्ली में तीन दिवसीय यूथ को : लैब – राष्ट्रीय नवाचार चुनौती की मेजबानी की। इसमें 30 चुनिंदा टीमों ने भाग लिया। पहले दो दिनों में इन युवा परिवर्तन करने वालों को उद्यमिता से लैस करने और उनके समाधानों को परिष्कृत करने के लिए 21वीं सदी के कौशल पर ध्यान केन्द्रित किया गया। अंतिम दिन इन युवाजनों ने प्रमुख पारिस्थितिकी तंत्र सक्षमकर्ताओं से बनी ज्यूरी के सामने अपने नवीन विचारों को प्रस्तुत किया।
राष्ट्रीय नवाचार चुनौती के बारे में अपने विचार साझा करते हुए एआईएम मिशन डॉयरेक्टर श्री आर रामनन ने कहा कि हमें इस बात पर गर्व है कि हमने इस महत्वपूर्ण पहल के लिए यूएनडीपी के साथ भागीदारी की और हमें यह घोषणा करने पर भी गर्व हो रहा है कि लगभग 300 टीमों ने यूथ को: लैब में भागीदारी की और 30 से अधिक टीमों ने फाइनल में अपने समाधान प्रस्तुत किए। इनमें अधिकांश को अपनी क्षमता का पता लगाने तथा अपने नवाचार को उत्पादन में बदलने के लिए एएम द्वारा स्थापित विश्व स्तरीय इन्क्यूबेटरों के साथ-साथ यूएनडीपी उत्प्रेरक कार्यक्रमों का लाभ उठाने का अवसर मिलेगा और उनके उत्पादों का लाखों लोग उपयोग कर सकेंगे।
उन्होंने यह भी कहा कि इससे युवा छात्र पूरे देश और विश्व में उद्भावना में भागीदारी करने और एसडीजी के सामने आने वाली अनेक समस्याओं का नवाचार समाधान खोजने में सक्षम होंगे। शीर्ष दो टीमों को पूर्ण रूप से वित्त पोषित किया जाएगा जबकि अगली दो टीमों को अंतिम शिखर सम्मेलन के लिए आंशिक रूप से वित्त पोषित किया जाएगा। चार टीमें क्षेत्रीय स्प्रिंगबोर्ड कार्यक्रम में भी भाग लेंगी। शीर्ष आठ टीमों को अटल इन्क्यूबेशन केन्द्रों में प्रशिक्षण दिया जाएगा और उन्हें एक साल के लिए अपने प्रभाव प्रबंधन को बढ़ाने के लिए यूएनडीपी से सहायता मिलेगी।
इस अवसर पर यूएनडीपी इंडिया के रेजिडेंट प्रतिनिधि सुश्री शोको नोडा ने कहा कि यूएनडीपी हमारे समाज में बदलाव लाने के लिए युवा लोगों की शक्ति में विश्वास करता है। युवाजन एसटीजी अर्जित करने के प्रयास में केन्द्रीय हिस्सा हैं। यूथ को : लैब युवाओं की रचनात्मकता, दक्षता और नवाचार को सामने ला रहा है। इस कार्यक्रम के माध्यम से हम उनके जीवन, उनसे संबंधित मुद्दों और हमारे ग्रह के भविष्य पर वास्तविक प्रभाव देख रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) और सिटी फाउंडेशन द्वारा 2017 में सह-सृजित यूथ को:लैब का उद्देश्य सामाजिक नवाचार और उद्यमिता के माध्यम से सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के कार्यान्वयन में तेजी लाने के लिए एशिया प्रशांत देशों के लिए निवेश जुटाने और युवाओं को सशस्त्र बनाने के लिए एक साझी कार्यसूची स्थापित करना है।
21वीं सदी के कौशल को विकसित करने और क्षेत्र में युवा नेतृत्व वाले स्टार्टअप्स और सामाजिक उद्यमों को उत्प्रेरित और सतत बनाकर यूथ को: लैब इस क्षेत्र की सबसे अधिक दबाव डालने वाली चुनौतियों का समाधान करने में युवाजनों को आगे लाने और केन्द्र में स्थापित करने का काम रहा है। एशिया और प्रशांत में 20 से अधिक देशों की उपस्थिति से अटल नवाचार मिशन नीति आयोग के सहयोग से यूथ को :लैब की पिछले साल अक्टूबर में भारत में शुरुआत की गई।
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