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आईसीएआई के परिणाम से शेखावाटी के मुस्लिम समुदाय मे खुशी का आलम


सीकर: भारतीय मुस्लिम समुदाय को फाईनेंस ( वित्तीय मैनेजमेंट) के मामले मे काफी दूर समझे जाने की परम्परा को अब शेखावाटी जनपद के मुस्लिम समुदाय के युवक व युवतियां लगातार क्रेक कर अलग तरह के फील्ड मे कामयाबी का परचम लहराने का सुखद अनुभव कराते हुये कल आईसीएआई के आये परिणाम की अब तक जानकारी अनुसार चार मुस्लिम युवक-युवतियों के पास होकर चार्टर्ड ऐकाउंटेट CA बनने से चारो तरफ खुशी का आलम पाया जा रहा है।


                  राजस्थान के मुस्लिम समुदाय मे प्रशासनिक, शेक्षणिक, न्यायीक, फौज व अन्य तरह की सरकारी सेवाओ के साथ साथ वकालत की डीग्री पाकर निजी तौर पर प्रेक्टिस करने के अतिरिक्त सिमित स्तर पर छोटे-बडे व्यापार करने का चलन तो देखा व पाया जाता था। लेकिन हर स्तर के वित्तीय मेनेजमेंट के साथ साथ दैश के वित्तीय सिस्टम की बारीकियों को समझ कर आगे बढने के लिए चार्टर्ड ऐकाउंटेट बनने की तरफ समुदाय का या तो ध्यान ही नही गया अगर कभी कभार गया तो ऊंट के मुहं मे जीरे समान।



                  हालांकि मुश्किल समझे जाने वाले चार्टर्ड ऐकाउंटेट बनने की शेखावाटी मे सीकर के गनेड़ी गावं के तत्तकालीन समय मे अलादीन खान नामक युवक ने 1978 मे परीक्षा पास करके शुरुआत करने के बाद कभी कभी कोई युवक युवती चार्टर्ड ऐकाउंटेट बनते तो रहे है। पर एक साथ चार युवक युवती कल आये परीणाम मे चार्टर्ड ऐकाउंटेट बने है। कल आये आईसीएआई के परीक्षा परिणाम मे सफलता पाकर चार्टर्ड ऐकाउंटेट बनने वालो मे झूंझुनू जिले की युवतीया शाहीद परवीन व सना के अलावा झूंझुनू जिले के ही मोहम्मद यूनुस गौरी एवं सीकर के आसीफ भाटी के नाम सामने आये है।



               दैश की आजादी के बाद मुस्लिम समुदाय को भारत मे अपने बच्चों के लिए दो जून की रोटी का इंतजाम करने के लिये रोजगार की तलाश करने से ही फूर्शत नही मिलने से उनमे केवल मात्र पुलिस व फोज मे सिपाही बनने के चलन मात्र रहा। जीवन बसर करने के लिये इसके अतिरिक्त बरसात की खेती करना मात्र विकल्प रहा। जिससे शिक्षा के प्रति जो झुकाव होना चाहिऐ था वो झूकाव बन नही पाया। फिर उच्च शिक्षा पाने के बजाय अरब मे मजदूरी करके पेट पालने की आदत ने समुदाय को शिक्षा से दूर किया था। अब ना अरब मे मजदूरी रही ओर ना ही अन्य सरकारी व गैर सरकारी रोजगार के साधन रहे। अब केवल मात्र उच्च व मयारी शिक्षा की ताकत के बल पर रोजगार पाया जा सकता है। जिसके लिये अब जाकर समुदाय के चाहे बहुत कम तादाद मे लेकिन एक तादाद मे युवक युवतीया शिक्षा की ताकत पाकर आत्मविश्वास से लबरेज होते नजर आ रहे है। झूंझुनू जिले के भारु गावं के इंजीनियर आरिफ खान युवाओ के आईडियल बनकर उनको राह दिखाते नजर आ रहे है।


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