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स्वयंभू बाबा प्यारा सिंह भनियारावाले का निधन

रूपनगर,:  पंजाब में 'स्वयंभू' बाबा प्यारा सिंह भनियारावाले का 61 वर्ष की आयु में सोमवार की सुबह निधन हो गया। उनका डेरा रूपनगर जिले में नूरपुरबेदी के पास भनियारा गांव में है।

उनके सहयोगियों ने बताया कि भनियारावाले ने सीने में दर्द था और उन्हें सांस लेने में दिक्कत आ रही थी। इसके बाद उन्हें मोहाली के अस्पताल ले जाया जा रहा था, लेकिन खरड़ के पास रास्ते में ही उनकी मौत हो गई।

उनके हजारों अनुयायी हैं, जिनमें अधिकतर दलित समुदाय से हैं।

विवादित उपदेशक को गुरु ग्रंथ साहिब में बदलाव कर अपना खुद का 'भव सागर ग्रंथ' प्रकाशित करने के लिए सिख समुदाय के गुस्से का सामना करना पड़ा था और अकाल तख्त ने 1998 में उन्हें समुदाय से बाहर कर दिया था।

उन्हें ईशनिंदा के आरोप में बाद में गिरफ्तार किया गया था और उनके द्वारा लिखी गई तथाकथित पवित्र किताब को प्रतिबंधित कर दिया गया था।

रूपनगर जिले के धमियाना गांव निवासी भनियारावाले अपने पिता तुलसी राम के सात बच्चों में से एक थे।

धार्मिक नेता बनने से पहले वह पंजाब सरकार के बागवानी विभाग में आसमानपुर गांव में चुतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के तौर पर काम करते थे।

भनियारावाले 1985 में तब खबरों में आए जब पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री बूटा सिंह उनसे मिलने गए और पंजाब के दलित समुदाय पर पकड़ मजबूत करने के उनके प्रयासों का समर्थन किया।

सितंबर 2001 में जब भनियारावाले के अनुयायियों द्वारा धार्मिक समारोह किया जा रहा था, तब नवगठित 'खालसा एक्शन फोर्स' ने उन पर हमला किया था।

बब्बर खालसा के सदस्य गुरदीप सिंह राणा को जनवरी 2005 में बम से भनियारावाले की हत्या करने की कोशिश के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

भनियारावाले के बड़ी संख्या में अनुयायी होने के बावजूद वह सुर्खियों से दूर रहते थे।


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