जयपुर,: भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने राजस्थान की कांग्रेस सरकार के एक साल की उपलब्धियों पर तंज कसते हुए मंगलवार को कहा कि राज्य सरकार भगवान भरोसे चल रही है।
उन्होंने राज्य सरकार के पहले 52 हफ्तों के कार्यकाल पर 52 आरोपों का एक आरोप पत्र यहां जारी किया। इस आरोप पत्र को राज्य की कांग्रेस सरकार की जमीनी हकीकत बताते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा इसे जनता की अदालत में पेश करेगी।
भाजपा मुख्यालय पर पूनिया ने आरोप पत्र ''कांग्रेस सरकार की वादाखिलाफी के एक साल की चार्जशीट'' जारी करने के बाद संवाददाताओं से कहा, ''ऐसा लगता है कि यह सरकार वास्तव में भगवान भरोसे चल रही है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत स्वयं ही विद्यार्थी हो गये तथा खुद ही परीक्षार्थी हो गये और दस में से दस नम्बर ले लिये। गहलोत सरकार ने सत्ता संभालते समय 503 वादे जनता से किये थे और सरकार एक साल में केवल 119 वादे पूरे कर पाई है ,इस सरकार को 'पासिंग मार्क्स' भी नहीं है।'' उन्होंने कांग्रेस सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा , ''सरकार की शुरूआत ही झूठ के साथ हुई है। सरकार ने दस दिन में किसानों का सम्पूर्ण कर्जा माफ करने का वादा किया था। इसमें कांग्रेस के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष और मुख्यमंत्री झूठे साबित हो गये।''
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने राज्य के बेरोजगारों को रोजगार और भत्ता देने का सपना दिखाया लेकिन वह इसे पूरा नहीं सके।
पूनिया ने कहा कि राजस्थान में बुनियादी विकास पूरी तरह से ठप है और तत्कालीन सरकार की योजनाओं के नाम बदल दिये गये। उन्होंने कहा कि भाजपा 20 दिसम्बर को राज्य के 40 हजार विस्थापित और शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता दिलाने की मांग को लेकर राजधानी जयपुर में प्रदर्शन करेगी और इस संबंध में राज्यपाल को ज्ञापन देगी।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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