नयी दिल्ली, : विनायक दामोदर सावरकर पर कटाक्ष करने वाले राहुल गांधी पर पलटवार करते हुए भाजपा ने शनिवार को कहा कि कांग्रेस नेता के लिए अधिक उपयुक्त नाम 'राहुल जिन्ना' है क्योंकि मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति उन्हें पाकिस्तान के संस्थापक का उत्तराधिकारी बनाती है ।
रामलीला मैदान में एक रैली को संबोधित करते हुण् कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने 'रेप इन इंडिया' वाली टिप्पणी पर भाजपा की ओर माफी की मांग किए जाने पर कहा कि उनका नाम 'राहुल सावरकर' नहीं हैं और वह कभी माफी नहीं मांगने वाले हैं।
भाजपा स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर काफी ऊंचा दर्जा देती है लेकिन उसके विरोधी जेल से छूटने के लिए सावरकर पर ब्रिटिश शासन से माफी मांगने का आरोप लगाते रहे रहे हैं ।
बहरहाल, राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए भाजपा प्रवक्ता जी वी एल नरसिम्ह राव ने कहा, '' राहुल गांधी के लिए अधिक उपयुक्त नाम 'राहुल जिन्ना' है । आपकी मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति और सोच आपको मोहम्मद अली जिन्ना का वारिस बनाती है, सावरकर का नहीं । ''
भाजपा के एक अन्य प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि राहुल गांधी कभी भी राहुल सावरकर नहीं हो सकते, क्योंकि सावरकर देशभक्ति, बहादुरी और बलिदान के प्रतीक थे जबकि कांग्रेस नेता अनुच्छेद 370, नागरिकता कानून, सर्जिकल स्ट्राइक जैसे मुद्दों पर वैसी ही भाषा का प्रयोग करते हैं जैसी भाषा का इस्तेमाल पाकिस्तान करता है ।
भाजपा आईटी प्रकोष्ठ के प्रमुख अमित मालवीय ने ट्वीट किया कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने सही कहा कि वह कभी सावरकर नहीं बन सकते । उन्होंने कहा कि वीर सावरकर राष्ट्रीय प्रतीक रहे हैं और उनका पूरे देश पर प्रभाव रहा है।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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