नयी दिल्ली, : पूर्वोत्तर राज्यों के विद्यार्थियों ने नागरिकता संशोधन अधिनियम को 'संविधान विरोधी' और क्षेत्र के मूल लोगों के लिए खतरा करार देते हुए रविवार को यहां जंतर मंतर पर उसके खिलाफ प्रदर्शन किया।
प्रदर्शनकारियों ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम को निरस्त करने की मांग की। उन्होंने दावा किया कि यह कानून 1985 की असम संधि की भावना के विरूद्ध है।
दिल्ली विश्वविद्यालय के असम के एक विद्यार्थी ने कहा, '' हम सीएए के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए यहां इकट्ठा हुए हैं क्योंकि यह क्षेत्र में मूल पहचान पर खतरा है । हम केंद्र से इसे निरस्त करने, इंटरनेट पर पाबंदी हटाने एवं पुलिस नृशंसता को रोकने की भी मांग करते हैं। ''
हाल ही में संसद से पारित यह कानून उन हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता प्रदान करता है जो धार्मिक उत्पीड़न के चलते पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आ गये।
दिल्ली आईआईटी के असम के जोरहाट के विद्यार्थी ऋतुपूर्णा कौशिक ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्य दशकों से अवैध प्रवासन के मुद्दे से जूझ रहे हैं जो नागरिकता संशोधन कानून से बहाल होने जा रहा है।
उसने कहा, '' हमने 1971 तक अवैध प्रवासन को स्वीकार कर ही लिया। अब हम और इसे बर्दाश्त नहीं कर सकते, हम सीमित संसाधन वाले गरीब राज्य हैं। यह कानून असमिया लोगों की पहचान पर खतरा उत्पन्न करता है और उन्हें अल्पसंख्यक बना देने का डर पैदा करता है।''
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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