अमरोहा। प्रमाण पत्र जारी करने के लिए गांव पिलक सराय, पेली तगा, मंगूपुरा, सैदरी, जोया तथा अन्य कई गांव के बहेलिया जाति के लोगों ने डीएम से मुलाकात की। डीएम के माध्यम से एक पत्र प्रदेश के मुख्यमंत्री को भेजा। जिसमें उन्होंने लिखा कि सभी लोग बहेलिया समाज के घुमंतू समाज से हैं। समाज के लोगों के पास कोई आवास, सिर ढकने को छत आदि नहीं है। खेतीहर जमीन भी नहीं है और न ही स्थाई रोजगार है। मजबूरी में अपने परिवार सहित छोटे बच्चों को लेकर देसी जड़ी बूटियों की दवाइयां बनाकर सड़क किनारे तंबू लगाकर दवाइयां बेच कर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं। लेकिन विशेष पीड़ा हमारे समाज के लिए यह है कि हमारे समाज के लोगों को बहेलिया जाति का जो अनुसूचित जनजाति के अंतर्गत आते हैं जाति प्रमाण पत्र नहीं बन रहे हैं। जिस कारण आर्थिक तंगी व गरीबी के कारण हमारे बच्चों को उचित शिक्षा ग्रहण नहीं हो पा रही है। वर्षो से आज तक हमारा समाज सड़कों पर रहकर घोर नारकीय जिंदगी जीने को मजबूर है। वर्षों से शासन से अपने बहेलिया जाति के प्रमाण पत्र की मांग करते आ रहे हैं। परंतु मात्र अनुसूचित जाति के ही प्रमाण पत्र बनते हैं। जबकि हमारा सामाज अनुसूचित जनजाति हेतु पात्र हैं। अभी तक हमारे जाति प्रमाण पत्र जारी करने के लिए सरकार द्वारा कोई विचार नहीं किया गया है। प्रार्थना पत्र देने वालों में भूरा, बब्बू, जीवन, राजवीर, नेम सिंह, उमेद, राहुल ,सुंदरी, प्रकाश, रमेश, लव कुश, कुलदीप सिंह, निरंकार, सुरेश, जगदीश, कुमुद सिंह, बॉबी सिंह, जय वीर सिंह, आदि मौजूद रहे।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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