कोलकाता, : पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने शुक्रवार को कहा कि राज्य के सहकारी बैंकों ने पिछले पांच साल में 36,000 करोड़ रुपये का कर्ज दिया है। उन्होंने वित्तीय संस्थानों से ग्रामीण क्षेत्रों में सेवाएं देने का भी आग्रह किया।
उन्होंने कहा कि बैंकों से वंचित क्षेत्रों को संस्थागत ऋण नेटवर्क में लाने के प्रयास के तहत राज्य सरकार पंचायत कार्यालयों में जगह उपलब्ध कराएगी ताकि बैंक अपनी शाखाएं स्थापित कर सकें।
मंत्री ने कहा, ''राज्य में सहकारी बैंकों द्वारा दिया गया कुल कर्ज पिछले पांच साल में 36,000 करोड़ रुपये रहा।''
यहां एक कार्यक्रम में मित्रा ने कहा कि सहकारित आंदोलन को आगे बढ़ाने और दूर-दराज के क्षेत्रों को इसके दायरे में लाये जाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि किसान कल्याण योजना 'कृषक बंधु' के तहत राज्य ने 2018 में 601 करोड़ रुपये कर्ज बांटे। इससे 39 लाख किसानों और बंटाईदारों को लाभ हुआ।
मित्रा ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार ने योजना के तहत इस साल अबतक 430 करोड़ रुपये वितरित किये हैं। इससे 27.4 लाख किसानों को लाभ हुआ है।
मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार का दृष्टिकोण है कि कोई भी पंचायत बैंक सुविधा से वंचित नहीं हो। ''इसके लिये पंचायत कार्यालयों में बैंकों को शाखा के लिये जगह दी जाएगी।''
उन्होंने कहा कि राज्य सहकारिता विभाग ने ग्राहक सेवा केंद्र (सीएसची) स्थापित किया है ताकि ग्राहक एनईएफटी और आरटीजीएस जैसी बैंक लेन-देन कर सकें।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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