रामपुर—गोरखपुर (उत्तर प्रदेश), : रामपुर प्रशासन ने पिछले सप्ताह नागरिकता कानून के विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा करने वाले 28 लोगों को नोटिस भेजा है और सार्वजनिक एवं निजी संपत्ति को हुए नुकसान को लेकर अपना पक्ष स्पष्ट करने या भुगतान करने को कहा है।
अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि रामपुर जिले में पुलिस प्रशासन ने लगभग 25 लाख रूपये के नुकसान का आकलन किया है। सभी लोगों को नोटिस मंगलवार को भेजा गया। पुलिस ने पहले कहा था कि नुकसान लगभग 15 लाख रूपये का है लेकिन अंतिम आकलन में यह 25 लाख रूपये निकला।
रामपुर के जिलाधिकारी आंजनेय कुमार सिंह ने भाषा को बताया कि प्रदर्शन के दौरान हिंसा करने वाले 28 लोगों को नोटिस भेजा गया है। उन्हें जवाब के लिए सात दिन का समय दिया गया है। अगर उनका जवाब नहीं आता है तो सार्वजनिक और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए उनसे धन की वसूली की जाएगी।
अधिकारियों ने बताया कि रामपुर में बीते शनिवार हिंसक प्रदर्शन के दौरान 22 साल के एक व्यक्ति की गोली लगने से मौत हो गयी थी। कई स्थानीय लोग एवं पुलिसकर्मी घायल हुए थे। पुलिस की एक मोटरसाइकिल सहित छह वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया था।
पुलिस के मुताबिक रामपुर में हिंसा के सिलसिले में अब तक 33 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और 150 से अधिक लोगों को चिन्हित किया गया है।
गोरखपुर में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर हुए हिंसक प्रदर्शन में शामिल 33 लोगों को पुलिस ने नोटिस भेजा है। उनके खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज की गयी है जबकि 1000 अज्ञात लोगों के खिलाफ भी एफआईआर है। पुलिस ने हिंसा में शामिल लोगों के फोटो जारी किये हैं और ऐलान किया है कि उनके बारे सूचित करने वाले को इनाम दिया जाएगा।
पुलिस अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि अब तक 26 लोगों को जेल भेजा जा चुका है। पुलिस की ओर से जारी फोटो के आधार पर अन्य कई लोगों को पकड़ा गया है। घर से भागे या फरार लोगों को नोटिस भेजा जा रहा है।
कोतवाली क्षेत्राधिकारी वी पी सिंह ने बताया कि आरोपियों को नोटिस भेजकर संबंधित थाने पहुंचने को कहा गया है और यह भी कहा गया है कि वह गुरूवार तक अपना पक्ष रख दें। अगर वे नहीं आते हैं तो उनकी संपत्तियां जब्त की जाएंगी।
जिला प्रशासन की एक टीम ने इस बीच आज हिंसा प्रभावित रेती, नक्खास और घंटाघर इलाकों का दौरा किया और हिंसा के दौरान सार्वजनिक संपत्तियों को हुए नुकसान का जायजा लिया।
उधर आने वाले शुक्रवार को जुमे की नमाज के मददेनजर पुलिस प्रशासन एलर्ट है और किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए रिहर्सल भी किया जा रहा है।
कानपुर में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा के मामलों की जांच के लिए बुधवार को विशेष जांच टीम :एसआईटी: का गठन किया गया।
कानपुर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक मोहित अग्रवाल ने बताया कि एसआईटी का नेतृत्व अपर पुलिस अधीक्षक :अपराध: करेंगे और इसमें पांच पुलिस अधिकारी शामिल होंगे ।
उन्होंने बताया कि पुलिस महानिदेशक के निर्देश पर एसआईटी का गठन किया गया है । एसआईटी को चार मामले हस्तांतरित कर दिये गये हैं, जिनमें तीन मामले बेकनगंज थाने के और एक मामला बाबूपुरवा थाने का है ।
अग्रवाल ने बताया कि एसआईटी दोषियों का पता लगाने के लिए आधुनिक इलेक्ट्रानिक उपकरणों का प्रयोग करेगी क्योंकि दंगाइयों ने सोशल मीडिया और व्हाटसऐप का भरपूर इस्तेमाल किया था ।
एसएसपी अनंत देव तिवारी ने बताया कि बेकनगंज और बाबूपुरवा के थाना प्रभारियों को एसआईटी के साथ पूर्ण सहयोग करने के लिए कहा गया है ।
शनिवार को हिंसक प्रदर्शनकारियों ने यतीमखाना पुलिस चौकी को आग के हवाले कर दिया था और पुलिस पर जमकर पथराव किया था ।
शुक्रवार को हुए हिंसक प्रदर्शन में दो लोगों की मौत हो गयी थी । भीड को तितर बितर करने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पडे और लाठीचार्ज करना पडा ।
उत्तर प्रदेश के कई जिलों में नागरिकता कानून के विरोध में बीते गुरूवार से ही हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गये थे । इस दौरान कम से कम 17 लोगों की मौत हो गयी । वाहनों को आग के हवाले किया गया और सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया ।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लखनउ में बुधवार को उन लोगों की आलोचना की, जिन्होंने उत्तर प्रदेश में प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया ।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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