सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

मंत्रिमंडल ने भारत और ब्राजील के बीच सामाजिक सुरक्षा के समझौते को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने भारत और ब्राजील के बीच सामाजिक सुरक्षा के लिए समझौता-ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने को मंजूरी दे दी है।


 


पृष्ठभूमि


      विदेशों में कम समय के लिए काम करने वाले भारतीय प्रोफेशनलों/कुशल कामगारों के हितों की रक्षा करने तथा भारतीय कंपनियों की प्रतिस्पर्धा क्षमताओं को बढ़ाने के मद्देनजर भारत अन्य देशों के साथ द्विपक्षीय सामाजिक सुरक्षा समझौते (एसएसए) करता रहा है।


 


मुख्य तौर पर एसएसए के तीन लाभ हैं-


i.          कामगारों द्वारा दोहरा सामाजिक सुरक्षा योगदान (असम्बद्धता) करने से बचना


ii.     लाभों को आसानी से प्रेषित करना (निर्यात योग्यता)


iii.    लाभों (एकत्रीकरण) के नुकसान को रोकने के लिए योगदान अवधि को जोड़ना (दो देशों के बीच)। समझौते के तहत विदेश में काम करने वाले भारतवासियों को अक्षमता बीमा लाभ भी प्रदान होंगे। अब तक भारत ने 18 देशों के साथ एसएसए पर हस्ताक्षर किए हैं।


 


      सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों के लिए ब्रिक्स राष्ट्रों के साथ ब्रिक्स श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की बैठकों में चर्चा की गई थी। ये बैठकें 9 जून, 2016 को जिनेवा और 27-28 सितंबर, 2016 को नई दिल्ली में हुईँ थीं। ब्रिक्स देशों के बीच सामाजिक सुरक्षा समझौतों को पूरा करने की संभावना का उल्लेख आठवें ब्रिक्स राष्ट्राध्यक्ष शिखर सम्मेलन के अवसर पर गोवा घोषणा पत्र में भी किया गया था। गोवा घोषणा की भावना को आगे बढ़ाने के लिए भारत और ब्राजील ने एसएसए पर बातचीत 13-16 मार्च, 2017 को ब्रासीलिया में की थी। बातचीत पूरी होने पर दोनों पक्षों ने सामाजिक सुरक्षा समझौते के मूलपाठ को अंतिम रूप दिया था।


      हस्ताक्षरित समझौते को हितधारकों की सूचना के लिए मंत्रालय की वेबसाइट और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन की वेबसाइट पर डाला जाएगा, ताकि दोहरे सामाजिक सुरक्षा योगदानों से बचने के लिए वे इस संबंध में प्रमाण-पत्र सुनिश्चित कर सकें।


      इस समय भारत में लगभग 1,000 ब्राजीलवासी और ब्राजील में लगभग 4,700 भारतीय निवास कर रहे हैं। सभी नियुक्त/असम्बद्ध और अपना रोजगार करने वाले व्यक्तियों को बिना किसी भेदभाव के इस प्रस्ताव से लाभ मिलेगा। इस तरह समझौते से समानता और समाविष्टि को प्रोत्साहन मिलेगा। ब्राजील से वापस आने वाले भारतीय कामगारों के सामाजिक सुरक्षा लाभों का निर्यात एक अभिनव व्यवस्था है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सामाजिक सुरक्षा लाभों में कोई नुकसान नहीं होगा। इसके अलावा भारतीय कंपनियों को अपने कुल खर्चों में कमी लाते हुए उनकी प्रतिस्पर्धा में भी इजाफा होगा।


      एसएसए के दायरे में भारत और ब्राजील की सीमाएं आती हैं।


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम

  नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...

इफ्तार पार्टियों का आयोजन लगातार जारी।

  सीकर-राजस्थान।        जनपद मे माहे रमजान शुरू होने के साथ ही अनेक सामाजिक व शेक्षणिक संस्थाओं के अलावा व्यक्तिगत लोगो द्वारा इफ्तार का आयोजन का सीलसीला जारी है।    इस सीलसीले के तहत सीकर शहर मे आज इतवार को सीकर में पंचायत शेखावाटी लीलगरान और युवा कमेटी की तरफ से रोजा इफ्तार पार्टी का आयोजन सय्यदा मस्जिद फतेहपुर रोड़ भैरुपुरा कच्चा रास्ता सीकर में किया गया। ,जिसमे सैकड़ों रोजेदारों ने शिरकत की और प्रदेश में अमन चैन की दुआ मांगी,इफ्तार के बाद मगरिब की नमाज पढ़ी गई।

सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले मुस्लिम विरोधी हिंसक तत्वों का मनोबल बढ़ाने वाले हैं- शाहनवाज़ आलम

  नयी दिल्ली, 9 मार्च 202 5. न्यायालयों द्वारा पिछले कुछ दिनों से दिए गए विवादित फैसलों से यह संदेश जा रहा है कि मई में आने वाले सुप्रीम कोर्ट के नए मुख्य न्यायाधीश पर आरएसएस और भाजपा अपने सांप्रदायिक एजेंडे के पक्ष में दबाव डालने की रणनीति पर काम कर रहे हैं. सेकुलर सियासी दलों और नागरिक समाज को इन मुद्दों पर मुखर होने की ज़रूरत है. ये बातें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव शाहनवाज़ आलम ने साप्ताहिक स्पीक अप कार्यक्रम की 185 वीं कड़ी में कहीं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के जज का किसी को मियां तियाँ और पाकिस्तानी कहने को अपराध नहीं मानना साबित करता है कि सुप्रीम कोर्ट के कुछ जज मुस्लिम विरोधी हिंसा में हिंसक तत्वों द्वारा प्रतुक्त होने वाली इन टिप्पणियों को एक तरह से वैधता देने की कोशिश कर रहे हैं. इस फैसले के बाद ऐसे तत्वों का न सिर्फ़ मनोबल बढ़ेगा बल्कि वो इसे एक ढाल की तरह इस्तेमाल करेंगे और पुलिस में शिकायत दर्ज कराने जाने वाले पीड़ित मुस्लिमों का मुकदमा भी पुलिस नहीं लिखेगी. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि इससे पहले भी मस्जिद के अंदर जबरन घुसकर जय श्री राम के ना...