मुंबई, : महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे नीत मंत्रिपरिषद का सोमवार को विस्तार हुआ जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण समेत पार्टी के 10 विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह दी गई ।
शपथ ग्रहण समारोह दोपहर एक बजे विधान भवन (राज्य विधानसभा) में हुआ जहां कुल 30 मंत्रियों ने शपथ ली है।
कांग्रेस की तरफ से अशोक चव्हाण, के सी पाडवी, विजय वडेट्टीवार, अमित देशमुख, सुनील केदार, यशोमति ठाकुर, वर्षा गायकवाड़ और असलम शेख कैबिनेट मंत्रियों के तौर पर शपथ दिलाई गई ।
इन नामों के अलावा कांग्रेस के ही सतेज पाटिल और विश्वजीत कदम ने राज्य मंत्री के तौर ली ।
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में महाराष्ट्र विकास आघाड़ी सरकार (एमवीए) का गठन 28 नवंबर को हुआ था।
राज्य मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री के अलावा छह मंत्री हैं।
कांग्रेस के बालासाहेब थोराट और नितिन राउत, शिवसेना के एकनाथ शिंदे और सुभाष देसाई तथा राकांपा के जयंत पाटिल और छगन भुजबल ने 28 नवंबर को ठाकरे के साथ शपथ ली थी।
महाराष्ट्र में मंत्री पद की अधिकतम संख्या 43 निर्धारित है।
मंत्रिपरिषद में राज्य के कुल विधायकों में से केवल 15 प्रतिशत विधायकों को शामिल किया जा सकता है। महाराष्ट्र विधानसभा में 288 सदस्य हैं।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री पद साझा करने को लेकर चुनाव पूर्व के गठबंधन सहयोगी भाजपा के साथ बात बिगड़ने के बाद शिवसेना ने पिछले महीने कांग्रेस और राकांपा के साथ हाथ मिलाकर राज्य में सरकार बनाई थी।
महाराष्ट्र विकास आघाड़ी के तीन सहयोगियों के बीच सत्ता साझेदारी को लेकर तय किए गए फॉर्मूले के अनुसार शिवसेना को मुख्यमंत्री के अलावा 15, राकांपा को भी 15 और कांग्रेस को 12 मंत्री पद दिए गए है ।
राज्य की 288 सदस्यीय विधानसभा में शिवसेना के 56, राकांपा के 54 और कांग्रेस के 44 विधायक हैं।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
टिप्पणियाँ