नयी दिल्ली, : माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने सोमवार को कहा कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के विरोध में जामिया मिल्लिया इस्लामिया में छात्रों के आंदोलन को दबाने के लिए की गयी पुलिस कार्रवाई लोकतंत्र में ''अस्वीकार्य'' है।
येचुरी ने विश्वविद्यालय परिसर में बिना अनुमति के पुलिस के प्रवेश को गैरकानूनी बताते हुये कहा, ''जामिया में जो कुछ हुआ, लोकतांत्रिक व्यवस्था वाले किसी भी देश में वह पूरी तरह से अस्वीकार्य है और इसकी जितनी भी निंदा की जाये, कम है।''
उल्लेखनीय है कि शनिवार और रविवार को सीएए के विरोध में जामिया मिल्लिया में छात्रों और स्थानीय लोगों के विरोध प्रदर्शन को नियंत्रित करने के लिए की गयी पुलिस कार्रवाई में कुछ छात्रों के घायल होने की पुलिस और विश्विद्यालय प्रशासन ने पुष्टि की है। जामिया की कुलपति नजमा अख्तर ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन की अनुमति के बिना ही दिल्ली पुलिस ने विश्वविद्यालय परिसर में आकर छात्रों के विरुद्ध कार्रवाई की।
येचुरी ने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह को दिल्ली पुलिस से जवाब तलब करना चाहिए कि उसने जामिया मिल्लिया में बिना पूर्व अनुमति के प्रवेश कैसे किया। उन्होंने कहा कि कानून के मुताबिक किसी भी शिक्षण संस्थान में पुलिस उक्त संस्थान की पूर्व अनुमति के प्रवेश नहीं कर सकती है। यह कानून पूरे देश में लागू है।
येचुरी ने छात्रों के विरुद्ध पुलिस कार्रवाई को बर्बर बताते हुये कहा कि विरोध के स्वर को दबाने के लिए सरकार पूरे देश में पुलिस के दमन का सहारा ले रही है। उन्होंने कहा कि इससे युवाओं की आवाज को दबाया नहीं जा सकेगा, इसके खिलाफ देशव्यापी विरोध होगा।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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