नयी दिल्ली, : जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय से लगे बाटला हाउस बाजार दोपहर तक सुनसान है और यहां स्टेशनरी की दुकान चलाने वाले 31 वर्षीय हरीश राव अब भी अपने पहले ग्राहक की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
संशोधित नागरिकता कानून के विरोध में रविवार को हिंसा होने के बाद जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के आसपास के इलाकों में तनाव के कारण व्यवसाय प्रभावित हुआ है।
बाटला हाउस, न्यू गोले, अबु फजल, जाकिर नगर और गफ्फार मंजिल इलाके में मंगलवार की सुबह से ही सन्नाटा छाया हुआ है। ''पुलिस बर्बरता'' के बारे में उन्होंने कहा, ''मैं पेन, नोटपैड और किताबें बेचता हूं। मैं छात्रों से संपर्क में रहता हूं और उनके दर्द को समझ सकता हूं। वे सभी हमारे भाई-बहन हैं।''
राव की दुकान पिछले दो दिनों से बंद है। उन्होंने पूछा, ''इस तरह की स्थिति में कौन पढ़ाई जैसा माहौल महसूस करेगा।''
मोबाइल रिचार्ज की दुकान चलाने वाले 22 वर्षीय मोहम्मद अली जावेद ने कहा कि इलाके में ''हंगामे'' के कारण पिछले दो-तीन दिनों से उनकी दुकान बंद है।
कोटला बाजार में कपड़े की दुकान चलाने वाले आफताब राव ने कहा कि उनकी दुकान बंद है क्योंकि जामिया के छात्रों पर पुलिस बर्बरता और संशोधित नागरिकता कानून के विरोध में उन्होंने अपनी आठ साल की बेटी के साथ प्रदर्शन में हिस्सा लिया।
राव (36) ने कहा, ''यह धर्म को लेकर नहीं है, कोई भी पिता ऐसा करेगा। हम सही कारणों के लिए लड़ रहे हैं।''
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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