सीकर।
हालांकि 2008 के विधानसभा चुनाव तक धोद विधानसभा को राजस्थान मे लाल टापू के तौर पर जाना व पुकारा जाता था। लेकिन तीन दफा कामरेड अमरा राम व एक दफा कामरेड पेमाराम के विधायक बनने के बाद दो विधानसभा चुनाव व दो पंचायत चुनाव मे प्रधान नही बनने से माकपा के लिये आने वाला पंचायत समिति चुनाव मोत व जीवन के समान होगा। पीछले पंचायत समिति के लिए प्रधान के चुनाव मे अधिक निदेशक जीतने वाली पार्टी माकपा को मात देने के लिये ओमप्रकाश झीगर को भाजपा व कांग्रेस ने एक साथ मिलकर मत देकर माकपा को पटखनी दी थी। उसी तरह के हालात आगामी चुनावों मे भी बनते नजर आ रहे है।
पंचायत चुनावो की घोषणा होने मे अभी तक धोद पंचायत समिति मे चुनाव होने की तिथि का ऐहलान नही हुवा है। लेकिन राजनीति दलो द्वारा राजनीतिक जोर अजमाईस शूरु करने के बावजूद चाहे उम्मीदवारों के नाम की घोषणा ना हो पा रही है। पर सम्भावित उम्मीदवारों के नाम पर विचार होने के साथ साथ दलो के नेता क्षेत्र मे राजनीतिक गोटीया बैठाने मे व्यस्त जरुर हो गये है। राजनीतिक सूत्र तो यहां तक बताते है कि धोद पंचायत समिति को लेकर माकपा को पावर से दूर रखने के लिये कांग्रेस व भाजपा नेताओं की बैठकों का दौर भी शूरु हो चुका है। जिनमे भाजपा व कांग्रेस से ताल्लुक रखने वाली निकटवर्ती दो महिला रिस्तादारो मे से किसी एक को उम्मीदवार हालात के मुताबिक बनाकर कामयाबी पाना है।
धोद पंचायत समिति चुनाव मे कांग्रेस की विजय के लिये स्थानीय विधायक व दिग्गज कांग्रेस नेता परशराम मोरदिया के हाथो कमान होने के साथ साथ प्रधान ओमप्रकाश झीगर की उनके सहायक की भूमिका की परीक्षा होनी है। वही भाजपा की कमान साबिक भाजपा जिलाध्यक्ष हरिराम रणवां के हाथो मे हो सकती है। माकपा को जीत दिलवाने के लिये माकपा नेता व पूर्व विधायक कामरेड अमरा राम को परीक्षा से गूजरना होगा।
कुल मिलाकर यह है कि धोद विधायक परशराम मोरदिया की क्षेत्र के दलित मतदाताओं पर खासी मजबूत पकड़ होने के कारण उनके मार्फत वो हर पंचायत से चुनाव लड़ने के इच्छुक सरपंच उम्मीदवारो पर नकेल कश कर रखते है। साथ मे मुस्लिम व स्वर्ण मतदाताओं की मदद मिल जाने से उनकी एक तरफा चल रही है। उनके मुकाबले माकपा के पास एक मात्र जनाधार वाला कामरेड अमरा राम नेता मोजूद जरूर है। लेकिन धोद विधानसभा क्षेत्र आरक्षित होने के कारण उनको दांतारामगढ़ से चुनाव लड़ने जाने पड़ने से धोद मे मोरदिया के मुकाबिल माकपा के पास फिलहाल नेता नजर नही आ रहा है। इसके अतिरिक्त समय आने पर भाजपा भी पीछले प्रधान चुनाव की तरह कांग्रेस के बीना निशान वाले उम्मीदवार के साथ खड़ी नजर आने की सम्भावना से माकपा का पलड़ा कमजोर पड़ते नजर आता है। कांग्रेस के लोकसभा उम्मीदवार रहे सुभाष महरिया का असर भी धोद क्षेत्र मे खासा है, पर उनके समर्थकों पर पंचायत चुनाव को लेकर सबकी नजरे टीकी हुई है। कामरेड अमरा राम की पंचायत चुनाव को लेकर पीछले एक हफ्ते से धोद क्षेत्र मे बढती सक्रियता ने कांग्रेस खेमे मे मामूली बैचेनी जरूर पैदा की है।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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