चारा उत्पादन, संरक्षण एवं उपयोग पर एक दिवसीय कार्यशाला सम्पन्न

लखनऊ: आज यहां पशुपालन निदेशालय में प्रमुख सचिव, पशुधन की अध्यक्षता में एवं भारतीय चरागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान, झांसी के वैज्ञानिको की उपस्थिति में चारा उत्पादन, संरक्षण एवं उपयोग विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला में प्रदेश में चारे की स्थिति एवं संरक्षित निराश्रित गोवंश को हरे चारे की अनुपलब्धता के संबन्ध में चिन्ता व्यक्त की गयी एवं चारा उत्पादन हेतु चारा क्षेत्र में नवीन अनुसंधानों, प्रसार कार्यक्रमों को कृषको/पशुपालकों के बीच विस्तार करने एव अपनाने पर जोर दिया गया। विभागीय पशुधन प्रक्षत्रों पर नवीन चारा उत्पादन तकनीकी को अपनाते हुए उसे माडल प्रक्षेत्र बनाने के निर्देश दिये गये। 

निदेशक, भारतीय चरागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान, झांसी, द्वारा बुंदेलखण्डी बकरी को एक प्रजाति के रूप में पंजीकृत करवाये जाने तथा संस्थान द्वारा चारे की विकसित उन्नति प्रजातियों के बारे में भी अवगत कराया गया। उन्होंने बताया कि संस्थान पर सभी परिस्थितियों में चारा उत्पादन हेतु माडल विकसित किये गये है।डा0 ए0के0दीक्षित, प्रधान वैज्ञानिक द्वारा प्रदेश के सभी 09 एग्रोक्लाइमेटिक जोन के लिए फाडर एक्सन प्लान पर चर्चा के समय बहुवर्षीय चारा फसलों को फसल चक्र में सम्मिलित कर चारा उत्पादन पर जोर दिया गया तथा गेहॅू की नयी प्रजाति वी0एल0-829 हरे चारे एवं दाने के लिए अपनाये जाने के बारे में बताया गया। 

डा0 आर0वी0 कुमार, वरिष्ठ वैज्ञानिक द्वारा ग्रासलैण्ड एवं पाश्चर डेेवलेपमेन्ट विषय पर अपना प्रस्तुतीकरण दिया गया। डा0 ए0के मिश्रा, वरिष्ठ वैज्ञानिक द्वारा चारे के संरक्षण एवं चारा आधारित राशनिंग पर प्रकाश डाला गया। चारे के संरक्षण हेतु मक्का, ज्वार, जई आदि से साइलेज तैयार करने की विधि पर विस्तारपूर्वक चर्चा की गयी। उन्होंने कहा कि औद्यानिक वृक्षों के मध्य चारा फसलों के उत्पादन से चारा प्राप्ति के साथ-2 उद्यान फसलों की पैदावार में 20-25 प्रतिशत वृद्धि होती है। 

प्रधान वैज्ञानिक डा0 पुरूषोत्तम शर्मा द्वारा चारा उत्पादन हेतु सामाजिक-आर्थिक पहलुओं पर प्रकाश डाला गया। यह भी अवगत कराया गया कि संस्थान द्वारा 04 मोबाइल एप्पस लांच किये गये है जिनसे चारा उत्पादन सम्बन्धी जानकारी प्राप्त की जा सकती है। इसके अतिरिक्त एम-किसान पोर्टल से कृषकों/पशुपालकों को जोडकर चारा उत्पादन सम्बन्धी जानकारी उपलब्ध करायी जाती है। डा0 अरविन्द कुमार सिंह, अपर निदेशक(गो0वि0) द्वारा पशुपालन विभाग की ओर से प्रदेश में पशुधन एवं चारे की स्थिति पर विस्तार से चर्चा की गयी। 

कार्यशाला में पशुपालन विभाग की तरफ से डा0 यू0पी0 सिंह, निदेशक (प्रशासन एवं विकास), डा0 एस0के0 श्रीवास्तव, निदेशक(रोग नियन्त्रण एवं प्रक्षेत्र), डा0 वी0के0यादव, निदेशक, भारतीय चरागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान, झांसी, डा0पी0के0सिंह, उप निदेशक, डा0ए0के0वर्मा, उप निदेशक, डा0वी0बी0 सिंह, संयुक्त निदेशक (प्रशिक्षण), डा0 प्रकाश चन्द्र सिंह, उपनिदेशक प्रक्षेत्र, श्री अर्जुन, चारा विकास अधिकारी आदि अधिकारियों के साथ-साथ प्रदेश के विभागीय पशुधन प्रक्षेत्रों एवं विभिन्न जनपदों से चारा क्षेत्र से जुडे कर्मचारियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।

टिप्पणियाँ