गुवाहाटी, : असम में शांति और कानून-व्यवस्था को बिगाड़ने में सोशल मीडिया के कथित दुरुपयोग को रोकने के उद्देश्य से प्रदेश में सोमवार को अगले 24 घंटों के लिये इंटरनेट सेवा को और स्थगित रखने का फैसला किया गया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ हिंसक प्रदर्शनों के बीच राज्य में बीते बुधवार से ही इंटरनेट सेवा स्थगित है।
अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह एवं राजनीतिक मामले) संजय कृष्ण ने पीटीआई को बताया, “समूचे असम में इंटरनेट सेवाएं मंगलवार तक स्थगित रहेंगी।”
उनके अनुसार, ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि, “फेसबुक, वाट्सऐप, ट्विटर और यू-ट्यूब आदि जैसे सोशल मीडिया माध्यमों के अफवाहों को फैलाने के लिये इस्तेमाल होने के साथ ही तस्वीरें,वीडियो और टेक्स्ट के संप्रेषण में होने की आशंका है। इनसे आक्रोश भड़क सकता है और कानून-व्यवस्था के लिये गंभीर स्थिति बन सकती है।”
राज्य में बीते बुधवार को शुरू में सिर्फ 10 जिलों में 24 घंटे के लिये इंटरनेट सेवा रोकी गई थी, गुरुवार को इसे पूरे प्रदेश में अगले 48 घंटों के लिये बढ़ा दिया गया।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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