सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

नागरिकता संशोधन विधेयक भारतीय संविधान के विरूद्ध- सुनील सिंह

लखनऊ : लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील सिंह ने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक भारतीय संविधान व भारतीय सांस्कृतिक विरासत व हमारी गंगा-जमुना तहजीब के विरूद्ध है। हमारी गंगा-जमुना तहजीब ने हमेशा कमजोर, वंचित व शोषित समाज के पक्ष में खड़े होने का साहस दिखाया है। इसलिए हमारा यह मानना है कि मानवीय संवेदना को जाति, धर्म, भाषा व सम्प्रदाय की सीमाओं में नहीं बांधना चाहिए। नागरिकता संशोधन विधेयक, एन०आर०सी० विवाद और सर्वोच्च न्यायालय, सीबीआई व चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्थाओं पर हो रहे हस्तक्षेप है। पार्टी के समस्त कार्यकर्ताओं के लिए सर्वोच्च आस्था का केन्द्र है। इसलिए अगर भारतीय संविधान बचेगा तभी पसामाजिक न्याय का अस्तित्व भी बच सकेगा और देश भी प्रगति के पथ पर बढ़ सकेगा।

आज पूरे देश में हालात तनावपूर्ण हैं। देश में साम्प्रदायिक विभाजन बढ़ रहा है। नार्थ ईस्ट से लेकर देश की हिन्दी पट्टी में लोग असंतोष प्रकट कर रहे हैं। पूर्वोत्तर में विरोध से आगे बढ़कर विद्रोह की स्थिति है। वहां लोग अपनी सांस्कृतिक अस्मिता व बाहरी लोगों से अपनी रोजी रोटी के अधिकार की रक्षा के लिए लड़ रहे हैं।  उत्तर प्रदेश के छः जनपदों में धारा 144 लगा दी गई है। हम लोगों से इस दुखद परिस्थिति में शान्ति बनाये रखने व शान्तिपूर्ण व संवैधानिक दायरे में अपना असंतोष प्रकट करने करने की अपील करते हैं। सामाजिक न्याय का अर्थ है-उन सभी व्यक्तियों को न्याय उपलब्ध करवाना, जिन्हें किसी भी प्रकार के सामाजिक भेद-भाव व वर्चस्व के कारण अन्याय का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में धर्म के नाम पर एक बड़ी आबादी को न्याय से वंचित कर देना न सिर्फ असंवैधानिक है बल्कि अमानवीय भी है । नागरिकता संशोधन अधिनियम में सिर्फ तीन पड़ोसी देशों के 06 अल्पसंख्यक हिन्दू सिख, जैन, ईसाइ, पारसी एवं बौद्ध को नागरिकता प्रदान करने की बात की जा रही है, जो कि सीधा धर्म को आधार बनाकर किया जा रहा है। जबकि मुस्लिम को इसमें शामिल नहीं किया गया है। हम कहना चाहते हैं कि भारतीय मुसलमान उतना ही देशभक्त है जितना हिन्दू।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम

  नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...

इफ्तार पार्टियों का आयोजन लगातार जारी।

  सीकर-राजस्थान।        जनपद मे माहे रमजान शुरू होने के साथ ही अनेक सामाजिक व शेक्षणिक संस्थाओं के अलावा व्यक्तिगत लोगो द्वारा इफ्तार का आयोजन का सीलसीला जारी है।    इस सीलसीले के तहत सीकर शहर मे आज इतवार को सीकर में पंचायत शेखावाटी लीलगरान और युवा कमेटी की तरफ से रोजा इफ्तार पार्टी का आयोजन सय्यदा मस्जिद फतेहपुर रोड़ भैरुपुरा कच्चा रास्ता सीकर में किया गया। ,जिसमे सैकड़ों रोजेदारों ने शिरकत की और प्रदेश में अमन चैन की दुआ मांगी,इफ्तार के बाद मगरिब की नमाज पढ़ी गई।

सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले मुस्लिम विरोधी हिंसक तत्वों का मनोबल बढ़ाने वाले हैं- शाहनवाज़ आलम

  नयी दिल्ली, 9 मार्च 202 5. न्यायालयों द्वारा पिछले कुछ दिनों से दिए गए विवादित फैसलों से यह संदेश जा रहा है कि मई में आने वाले सुप्रीम कोर्ट के नए मुख्य न्यायाधीश पर आरएसएस और भाजपा अपने सांप्रदायिक एजेंडे के पक्ष में दबाव डालने की रणनीति पर काम कर रहे हैं. सेकुलर सियासी दलों और नागरिक समाज को इन मुद्दों पर मुखर होने की ज़रूरत है. ये बातें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव शाहनवाज़ आलम ने साप्ताहिक स्पीक अप कार्यक्रम की 185 वीं कड़ी में कहीं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के जज का किसी को मियां तियाँ और पाकिस्तानी कहने को अपराध नहीं मानना साबित करता है कि सुप्रीम कोर्ट के कुछ जज मुस्लिम विरोधी हिंसा में हिंसक तत्वों द्वारा प्रतुक्त होने वाली इन टिप्पणियों को एक तरह से वैधता देने की कोशिश कर रहे हैं. इस फैसले के बाद ऐसे तत्वों का न सिर्फ़ मनोबल बढ़ेगा बल्कि वो इसे एक ढाल की तरह इस्तेमाल करेंगे और पुलिस में शिकायत दर्ज कराने जाने वाले पीड़ित मुस्लिमों का मुकदमा भी पुलिस नहीं लिखेगी. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि इससे पहले भी मस्जिद के अंदर जबरन घुसकर जय श्री राम के ना...