नयी दिल्ली, : उच्चतम न्यायालय ने धन शोधन मामले में कांग्रेस नेता डी के शिवकुमार को जमानत दिये जाने के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय की अपील शुक्रवार को खारिज कर दी। शिवकुमार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने जमानत प्रदान की थी।
न्यायमूर्ति आर एफ नरिमन और न्यायमूर्ति एस रवीन्द्र भट की पीठ ने अपील में दूसरे पक्ष को नोटिस जारी करने का प्रवर्तन निदेशालय की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता का अनुरोध अस्वीकार कर दिया।
उच्च न्यायालय ने शिवकुमार को 23 अक्टूबर को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शिवकुमार को तीन सितंबर को गिरफ्तार किया था। निचली अदालत ने उन्हें मामले में जमानत देने से इनकार कर दिया था इसलिए वह न्यायिक हिरासत में थे।
उच्च न्यायालय ने उन्हें यह कहते हुए जमानत दे दी थी कि वह सबूतों से छेड़छाड़ नहीं कर सकते हैं क्योंकि दस्तावेज जांच एजेंसियों के पास हैं।
ईडी ने जमानत याचिका का विरोध किया था और कहा था कि वह एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं और रिहा करने पर सबूतों से छेड़छाड़ कर सकते हैं और गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं।
प्रवर्तन निदेशालय ने पिछले साल सितंबर में शिवकुमार के खिलाफ धनशोधन का मामला दर्ज दिया था। इसके अलावा नई दिल्ली में कर्नाटक भवन में काम करने वाले हनुमनथैया और अन्य के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया था।
यह मामला आयकर विभाग की ओर से बेंगलुरू की एक विशेष अदालत में इन लोगों के खिलाफ पिछले साल दायर किए गए आरोपपत्र पर आधारित है। इन लोगों पर कथित कर चोरी और 'हवाला' के करोड़ों रुपये के लेन-देन का आरोप है।
आयकर विभाग ने आरोपी शिवकुमार और उसके कथित सहयोगी एस के शर्मा पर आरोप लगाया है कि ये नियमित तौर पर तीन अन्य आरोपियों की मदद से 'हवाला' के माध्यम से बड़े स्तर पर नकदी भेजते थे जिसका कोई लेखा-जोखा नहीं था।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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