नयी दिल्ली, : केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार राम जन्मभूमि मामले में मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट के गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी है और कुछ अधिकारियों की टीम अदालत के फैसले का विस्तृत अध्ययन कर रही है। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी।
उक्त न्यास के गठन पर विधि मंत्रालय और अटॉर्नी जनरल की राय ली जाएगी। यह ट्रस्ट ही अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की रूपरेखा तैयार करेगा।
एक अधिकारी ने बताया कि अधिकारियों के एक दल को शीर्ष अदालत के फैसले का विस्तार से अध्ययन करने को कहा गया है ताकि अदालत के निर्देश के अनुरूप ही ट्रस्ट का गठन किया जाए। उन्होंने कहा कि इस संबंध में परामर्श चल रहा है और अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है।
एक अन्य अधिकारी ने हालांकि कहा कि अभी यह साफ नहीं है कि क्या अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए बनाये गये ट्रस्ट की नोडल इकाई गृह मंत्रालय या संस्कृति मंत्रालय में से कोई होगा।
शीर्ष अदालत की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने शनिवार को ऐतिहासिक फैसले में अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि पर राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ कर दिया। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार को सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए एक प्रमुख स्थान पर पांच एकड़ जमीन देने को भी कहा।
शीर्ष अदालत ने 1045 पन्नों के फैसले में कहा, ''केंद्र सरकार इस फैसले की तारीख से तीन महीने की अवधि के भीतर 'अयोध्या में कुछ क्षेत्रों के अधिग्रहण से संबंधित अधिनियम, 1993' के तहत एक योजना बनाएगी।''
उन्होंने कहा, ''इस योजना में एक ट्रस्ट के गठन का भी विचार शामिल होगा जिसमें एक न्यासी बोर्ड या अन्य कोई उचित इकाई होगी।'
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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