मुंबई,: राकांपा, कांग्रेस और शिवसेना के विधायकों को खरीद-फरोख्त के प्रयास से बचाने के लिए मुंबई के जिन तीन लक्जरी होटलों में ठहराया गया है, उसके बाहर सुरक्षा सख्त कर दी गई है।
भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस द्वारा शनिवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद तीनों दलों ने अपने विधायकों के शहर के अलग-अलग होटलों में भेज दिया है। फडणवीस के साथ राकांपा नेता अजित पवार ने उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस के बीच महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए सहमति बनने के तुरंत बाद महाराष्ट्र में यह नाटकीय राजनीतिक घटनाक्रम हुआ।
सूत्रों ने बताया कि राज्य विधानसभा में बहुमत साबित करने से पहले विधायकों की खरीद-फरोख्त रोकने के लिए कांग्रेस ने अपने विधायकों को जूहू इलाके के जे डब्ल्यू मैरियट होटल में रखा है, जबकि राकांपा ने अपने विधायकों को पवई में दि रिनेसा होटल में रखा गया है।
इसके अलावा शिवसेना के विधायक यहां अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे के नजदीक ललित होटल में रुके हुए हैं।
पुलिस उपायुक्त (जोन आठ) मंजूनाथ सिंघे ने बताया कि सहार और पवई थाना क्षेत्र के जवानों के साथ ही रिजर्व पुलिस बल के जवानों को ललित होटल के बाहर तैनात किया गया है।
उन्होंने बताया, “ ललित और जे डब्ल्यू मैरियट के बाहर सुरक्षा बढ़ाई जा चुकी है। हम इन होटलों में जाने वाले लोगों और वाहनों की जांच कर रहे हैं।”
सूत्रों ने बताया कि इन होटलों में निजी सुरक्षा गार्ड भी बिना समुचित जांच के किसी को अंदर नहीं जाने दे रहे हैं।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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