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राजनाथ सिंह का रक्षा कंपनियों को भारत में निवेश का न्यौता

बैंकाक, :  रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रक्षा कंपनियों को सोमवार को भारत में निवेश का न्यौता देते हुए कहा कि भारत ने 2025 तक देश से पांच अरब डॉलर के रक्षा उत्पादों के निर्यात का लक्ष्य रखा है। इसलिए कंपनियों को भारत में निवेश कर यहां की वृद्धि का हिस्सेदारी बनना चाहिए।

वह यहां 'इंडिया राइजिंग' पर एक संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार देश को रक्षा विनिर्माण केंद्र बनाने के लिए प्रतिबद्ध है और अगले छह साल में इसे 26 अरब डॉलर का उद्योग बनाना चाहती है।उन्होंने कहा कि भारत में वैमानिकी, रक्षा साजोसामान और सेवा क्षेत्र में 2025 तक 10 अरब डालर का निवेश होने की उम्मीद है। यह क्षेत्र 20 से 30 लाख लोगों को रोजगार दे सकता है।

सिंह यहां मुख्य तौर पर आसियान देशों के रक्षा मंत्रियों एवं अन्य संवाद सहयोगी देशों की बैठक (एडीएमएम-प्लस) में भाग लेने पहुंचे हैं। यह आसियान देश और उसके आठ संवाद साझेदार देशों का एक मंच है। भारत इसका हिस्सा है।

रक्षा मंत्री ने कहा कि प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के लिए एक नयी नीति लायी गयी है, ताकि रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित प्रौद्योगिकी उद्योग को आसानी से उपलब्ध करायी जा सके।

सिंह ने कहा, ''सरकार की रक्षा उत्पादन नीति-2018 के मसौदे में उसने 2025 तक देश से पांच अरब डॉलर के रक्षा उत्पाद के निर्यात करने का लक्ष्य रखा है।''

उन्होंने कहा कि एक तरफ तो यह लक्ष्य बहुत महत्वाकांक्षी दिखता है, लेकिन उसी समय यह बात प्रोत्साहित करती है कि देश का रक्षा निर्यात पिछले दो साल में छह गुना से अधिक बढ़ा है।

सिंह ने कहा कि रक्षा क्षेत्र को 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत तव्वजो दी गयी है और इसका मकसद देश की रक्षा आयात पर निर्भरता घटाकर उसे विशुद्ध तौर पर रक्षा उत्पाद एवं मंच का निर्यातक बनाना है। उन्होंने निर्यात बढ़ाने के लिए रक्षा मंत्रालय द्वारा शुरू की गयी विभिन्न पहलों का भी जिक्र किया।

इन पहलों में निर्यात के लिए प्रक्रियाओं का सरलीकरण, उद्योग लाइसेंस प्रक्रिया का सरलीकरण, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा में बढ़ोत्तरी, रक्षा ऑफसेट नीति को आसान बनाना और सरकार की परीक्षण सुविधाओं को निजी क्षेत्र के लिए उपलब्ध कराना इत्यादि शामिल है।

सिंह ने कहा कि 2016 में रक्षा खरीद प्रक्रिया को संशोधित किया गया और घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए एक नयी श्रेणी 'खरीदें भारतीय उत्पाद : आईडीडीएम' (स्वदेश में डिजाइन, विकसित और विनिर्मित) श्रेणी बनायी गयी।

सिंह ने कहा कि सरकार की तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में दो रक्षा गलियारे विकसित करने की इच्छा जगजाहिर है। एक रक्षा नवोन्मेष केंद्र पहले से कोयंबटूर में कार्यरत है। इसके अलावा एक रक्षा योजना समिति भी गठित की गयी है।

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने एक रक्षा विनिर्माण गलियारा विकसित करने की योजना बनायी है जो प्रस्तावित बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के साथ-साथ होगा। यह गलियारा भारत को रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेगा।

उन्होंने कहा कि पिछले साढ़े पांच साल में सरकार ने दूरगामी सुधार किए हैं जिसका मकसद सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के भी सामंजस्य बेहतर करना है। इन सुधारों ने रक्षा उत्पादन और खरीद में सकारात्मक योगदान दिया है। इसके अलावा लोक-निजी भागीदारी के तहत साझा परीक्षण और प्रमाणन योजना लाने पर काम किया जा रहा है।

सरकार ने रक्षा आत्मनिर्भरता को आगे बढ़ाने के लिए पांच प्रमुख मानक तय किए हैं। ये मानक पहचान, इंक्यूबेशन, नवोन्मेष, एकीकरण और स्वदेशीकरण हैं।

उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्रालय ने 250 स्टार्टअप कंपनियों, 16 कार्मिक पहलों और पांच रक्षा नवोन्मेष केंद्रों को वित्त पोषण करने का लक्ष्य तय किया है।

सिंह ने घरेलू और वैश्विक रक्षा कंपनियों को अगले साल लखनऊ में पांच से आठ फरवरी के बीच होने वाली 'रक्षा प्रदर्शनी' में शामिल होने का न्योता भी दिया।


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