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न्यायपालिका में लंबित मामलों के निबटारे के लिये विस्तृत मंथन और सुनियोजित प्रयासों की जरूरत:कोविंद


 नयी दिल्ली, :  राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मुकदमों के फैसलों में विलंब को न्याय प्रदान करने की प्रणाली में 'बाधा' करार देते हुये मंगलवार को कहा कि लंबित मुकदमों के अंबार को खत्म करने लिये विस्तृत मंत्रणा और सुनियोजित प्रयास करने होंगे।

राष्ट्रपति ने उच्चतम न्यायालय में 70वें संविधान दिवस को संबोधित करते हुये नौ क्षेत्रीय भाषाओं में फैसले उपलब्ध कराने के शीर्ष अदालत के प्रयासों की सराहना की।

कोविंद ने कहा, ''इस बात की प्रसन्नता है कि उच्चतम न्यायालय ने मेरे सुझाव का पालन किया और नौ क्षेत्रीय भाषाओं में फैसले उपलब्ध कराने शुरू किये। आने वाले समय में इस सूची में और भाषायें शामिल की जा सकती हैं ताकि आम आदमी अपनी भाषा में सर्वोच्च अदालत के फैसले पढ़ सके।''

सभी को न्याय उपलब्ध कराने के विषय पर राष्ट्रपति ने कहा कि इसके लिये 'बेंच' और 'बार' सहित सभी दावेदारों को 'सामूहिक प्रयास' करने होंगे।

राष्ट्रपति ने कहा, ''न्याय के रास्ते में विलंब एक अन्य बाधा है और इसकी वजह से मुकदमों की संख्या बढ़ती है। इसके निपटारे के लिये विस्तार से मंत्रणा और सुनियोजित प्रयास करने की आवश्यकता है।''

उन्होंने कहा, ''हमारे राष्ट्र निर्माताओं ने संस्थाओं का सृजन किया और उनके बीच सही संतुलन कायम किया ताकि यह सुनिश्चित हो कि इनके मूल उद्देश्यों से समझौता नहीं हो।'' प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित संविधान दिवस कार्यक्रम में कहा कि न्यायपालिका के समक्ष मौजूद समस्याओं से निपटने के लिये कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलीजेन्स) के इस्तेमाल पर जोर दिया।

सीजेआई ने कहा कि यह न्याय प्रदान करने की व्यवस्था में सहायता करेगा।

हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि ऐसी कोई धारणा नहीं बननी चाहिए कि कृत्रिम बुद्धिमतता आगे चल कर कभी न्यायाधीशों का विकल्प बन जाएगी।

उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान विविधता में एकता,स्थिरता के साथ बहुलवाद, आदर्शवाद के साथ व्यवहारवाद, अनुकूलता के साथ औपचारिकता, सुरक्षा के साथ स्वतंत्रता को प्रदर्शित करता है।

उन्होंने कहा कि संविधान न्यायिक पुनर्विलोकन की शक्ति के साथ एक स्वतंत्र न्यायपालिका का प्रावधान करता है।

केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने अयोध्या मामले में आये उच्चतम न्यायालय के फैसले का जिक्र करते हुए कहा, ''आस्था का अधिकार भी संविधान के तहत एक मूल अधिकार है...।''

उन्होंने कहा, ''अधिकार और कर्तव्य साथ-साथ निभाये जाते हैं।''

अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने उच्च न्यायालयों से ऊपर देश के चार विभिन्न हिस्सों में चार अपीलीय न्यायालय गठित करने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि शीर्ष न्यायालय को सिर्फ अहम संवैधानिक मुद्दों का निपटारा करना चाहिए।

उन्होंने कहा कहा कि अपीलीय न्यायालयों का फैसला अंतिम होना चाहिए और इसके न्यायाधीशों की नियुक्ति उच्चतम न्यायालय में की जाने वाली नियुक्ति की तर्ज पर होनी चाहिए।

शीर्ष अदालत ने इस अवसर पर अपना आधिकारिक मोबाइल ऐप और अनुवाद करने वाला साफ्टवेयर (उच्चतम न्यायालय विधिक अनुवादक साफ्टवेयर) भी लांच किया जिससे नौ भारतीय भाषाओं में फैसलों का अनुवाद होता है।

कोविंद ने सूचना प्रौद्योगिकी की जरूरत का जिक्र करते हुए कहा कि सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी लंबित पड़े मामलों के निपटारे में काफी तेजी ला सकती है।

उन्होंने संविधान सभा की 15 महिला सदस्यों को भी श्रद्धांजलि अर्पित की।

उन्होंने कहा, ''राष्ट्र हमेशा ही संविधान सभा के सभी सदस्यों और पदाधिकारियों का आभारी रहेगा, खासतौर पर इसके अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद और प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ बाबासाहेब आंबेडकर, जिन्हें संविधान के निर्माता के तौर पर जाना जाता है।''

कोविंद ने कहा कि पूरी तरह से स्वतंत्र न्यायपालिका के साथ जोशीले संसदीय लोकतंत्र का सह अस्तित्व हमारे राष्ट्र निर्माताओं की दूरदर्शिता का परिचायक है।


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