महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर गतिरोध शनिवार को भी जारी रहा। मुख्यमंत्री का पद चाह रही शिवसेना अपना रुख कभी कड़ा कर रही है तो कभी उसमें नरमी दिखा रही है जबकि उसकी सहयोगी भाजपा इंतजार करो की नीति अपना रही है।
सहयोगी दलों भाजपा और शिवसेना ने 21 अक्टूबर को हुए विधानसभा चुनाव में पर्याप्त बहुमत हासिल किया था लेकिन दोनों के बीच सत्ता बंटवारे को लेकर औपचारिक बातचीत शुरू नहीं हुई है।
दूसरी ओर राकांपा ने कहा कि उसके प्रमुख शरद पवार सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करेंगे। वहीं महाराष्ट्र से कांग्रेस के एक सांसद ने सुझाव दिया कि उनकी पार्टी सरकार बनाने के लिए शिवसेना का समर्थन करे।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने यहां पार्टी नेताओं वी सतीश और विजय पुराणिक के साथ बैठक की।
बाद में जब पाटिल से यह पूछा गया कि क्या कोई हल दिखाई दे रहा है, तो उन्होंने कहा कि उन्होंने सरकार गठन को लेकर वर्तमान के गतिरोध समाप्ति के लिए कोल्हापुर की देवी अम्बाबाई से प्रार्थना की है।
शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' में प्रकाशित एक सम्पादकीय में भाजपा नेता सुधीर मुनगंटीवार पर उनके इस बयान को लेकर निशाना साधा गया कि यदि सरकार नहीं बनी तो राज्य में राष्ट्रपति शासन लग सकता है। सम्पादकीय में इसे एक धमकी बताया गया।
मुनगंटीवार ने कहा कि वह केवल वही कहे रहे हैं जिसका प्रावधान तय समय में सरकार नहीं होने की दशा में संविधान में है।
उन्होंने कहा, ''मैं वन मंत्री हूं। यदि बाघ (शिवसेना का प्रतीक चिह्न) अनावश्यक गुर्रा रहा है और हमें पता है कि उसका संरक्षण कैसे करना है। हम बाघ को साथ लेकर चलेंगे।''
मुनगंटीवार ने यह भरोसा भी जताया कि राज्य में 10 नवम्बर से पहले नयी सरकार बन जाएगी। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि शपथग्रहण छह या सात नवम्बर को होगा।
शिवसेना नेता एवं 'सामना' के कार्यकारी सम्पादक संजय राउत ने कहा कि सरकार बनाना भाजपा का अधिकार है क्योंकि वह अकेली सबसे बड़ी पार्टी है।
उन्होंने कहा, ''उसे बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन लेने दीजिये। यदि वह बहुमत साबित नहीं कर पाती है तो शिवसेना अपना बहुमत साबित करेगी।''
राउत ने कहा कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा उससे इनकार किये जाने से ठेस लगी थी जिस पर ''दोनों सहयोगी दलों के बीच पहले ही सहमति बन चुकी है।''
उन्होंने कहा, ''हम जो भी मांग कर रहे हैं उस पर उनके द्वारा सहमति जतायी गई थी।''
राउत ने कहा कि वह भाजपा थी जिसने गठबंधन के लिए कहा था। ''हमारे अंदर संदेह थे। यद्यपि हमने सोचा कि हमें उन्हें एक मौका देना चाहिए। अब हम कह रहे हैं कि भाजपा को अपने वादे का सम्मान करना चाहिए। उसे स्वीकार करिये जिस पर सहमति बनी थी।''
राउत ने साथ ही कांग्रेस नेता एवं राज्यसभा सदस्य हुसैन दलवई द्वारा कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी को वर्तमान स्थिति के बारे में लिखे गए पत्र का स्वागत किया। मुस्लिम नेता दलवई ने लिखा कि पार्टी को शिवसेना का समर्थन करना चाहिए।
दलवई ने अपने पत्र का उल्लेख करते हुए संवाददाताओं से कहा, ''शिवसेना और भाजपा में अंतर है। शिवसेना ने राष्ट्रपति पद के लिए प्रतिभा पाटिल, प्रणब मुखर्जी का समर्थन किया था। भाजपा के उलट शिवसेना की राजनीति समावेशी बन गई है। भाजपा को सत्ता से बाहर रखने के लिए शिवसेना का समर्थन करना चाहिए।''
उन्होंने कहा कि राज्य में मुस्लिमों का एक बड़ा वर्ग भाजपा के मुकाबले शिवसेना को तरजीह देगा।
प्रदेश के कुछ और कांग्रेस नेता पहले ही भाजपा को सत्ता से बाहर रखने के लिए शिवसेना का समर्थन करने की बात कर चुके हैं।
यद्यपि राउत ने साथ ही यह भी कहा कि शिवसेना ने भाजपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था और वह अंत तक ''गठबंधन धर्म'' का पालन करेगी।
इस बीच राकांपा के वरिष्ठ नेता अजित पवार ने कहा कि उनके पार्टी प्रमुख शरद पवार सोमवार को दिल्ली जाएंगे और वहां कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करेंगे।
राकांपा के मुख्य प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा कि यदि शिवसेना ''भाजपा के बिना'' सरकार बनाने को तैयार हो तो राकांपा ''निश्चित रूप से एक सकारात्मक रुख अपनाएगी।''
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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