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कृषक फसल अवशेषों को जलाने के स्थान पर उसका सदुपयोग मल्चिंग/जैविक खाद बनाने में करें

लखनऊ: प्रदेश के आयुक्त, गन्ना एवं चीनी श्री संजय आर. भूसरेड्डी द्वारा जानकारी प्रदान करते हुये बताया कि फसल अवशेष जलाना कानूनी अपराध है तथा पराली एवं फसल अवशेष जलाये जाने पर जुर्माना लगाये जाने का प्राविधान भी किया गया है। वर्तमान में प्रदूषण एक भयंकर समस्या बन गयी है, जिसका कृषि उत्पादन के साथ-साथ मानव जीवन पर भी बुरा असर पड़ रहा है। विभिन्न स्तरों पर इसे नियंत्रण किया जाना अत्यन्त आवश्यक है, ताकि इसकी विभीषिका से बचा जा सके। 

 

गन्ना आयुक्त द्वारा बताया गया कि प्रदेश में गन्ना कृषकों द्वारा गन्ने की कटाई के उपरान्त गन्ने की सूखी पत्तियों को जलाने से वातावरणीय प्रदूषण तो बढ़ता ही है मिट्टी की उर्वरकता पर भी कुप्रभाव पड़ता है, इसलिये फसल अवशेषों को जलाने के स्थान पर यदि उचित प्रबन्धन कर दिया जाय तो मृदा को पुनः पोषक तत्व फसल अवशेष के माध्यम से वापस प्राप्त हो जाते है। तथा गन्ना किसान अपने खेत में ट्रेश मल्चिंग करके अधिक पैदावार प्राप्त कर सकते है, इससे गन्ना किसानों की अतिरिक्त आय के साथ ही पर्यावरण प्रदूषण पर भी रोक लगेगी।

 

  ट्रैंश मल्चर के प्रयोग के बारे में जानकारी देते हुए गन्ना आयुक्त ने बताया कि ट्रैंश मल्चर के माध्यम से गन्ने की पत्तियों को छोटे-छोटे टुकड़ों में परिवर्तित कर दिया जाता है। यह डिवाईस पेड़ी प्रबन्धन के लिए अत्यन्त उपयोगी है। पेड़ी प्रबंधन के अन्तर्गत दो पंक्तियों के बीच मे पत्तियों की मल्चिंग करना अत्यन्त लाभ दायक है इससे खेत की नमी सुरक्षित रहती है तथा पत्ती बिछाने से खर पतवार कम निकलते है। ट्रैंश मल्चिंग के रूप में उपयोग होने वाली सूखी पत्तियां कुछ समय के बाद खाद में बदल जाती हैं। इन पत्तियों में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश व कार्बनिक पदार्थ प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, जोकि मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाते हैं तथा खरपतवार के नियंत्रण व पानी की बचत में सहायक है। उन्होंने बताया कि गन्ना खेती में यंत्रीकरण को बढ़ावा देने हेतु फार्म मशीनरी बैंक स्थापित करने के संबंध में निर्देश जारी किये गये है। जिसके अन्तर्गत ट्रैश मल्चर एवं रैटून मैनेजमेन्ट डिवाईस की व्यवस्था की गयी है। 

फसल अवशेषों को जलाने से होने वाले नुकसान के बारे में जानकारी देते हुये गन्ना आयुक्त श्री भूसरेड्डी ने बताया कि फसल अवशेष जलाये जाने पर प्रति एकड़ 400 किलोग्राम लाभकारी कार्बन, नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश व सल्फर जैसे बेहद जरूरी पोषक तत्त्व जलकर नष्ट हो जाते है। जब खेत में आग लगाई जाती है, तो खेत की मिट्टी उसी तरह जलती है जैसे ईंट भट्ठे की ईंट जलती है. खेत का तापमान बढ़ने से उस में पाए जाने वाले लाभकारी जीव जैसे-राइजोबियम, अजेटोबैक्टर, एजोस्पाइरिलम, ब्लू ग्रीन एल्गी और पीएसबी जीवाणु जल कर नष्ट हो जाते हैं इसके अलावा लाभदायक फफूंद, ट्राइकोडर्मा, जैविक कीटनाशी, विबैरिया बैसियाना, वैसिलस थिरूनजनेसिस और किसानों के मित्र कहे जाने वाले केंचुए आग से जल कर नष्ट हो जाते हैं। फसल अवशेष जलने से पैदा होने वाले कार्बन से वायु प्रदूषित होती है, जिसका इन्सानों व पशुपक्षियों पर बुरा असर पड़ता है।

इस संबंध में परिक्षेत्रीय अधिकारियों को व्यापक दिशा-निर्देश जारी करते हुये निर्देशित किया गया हैै कि प्रत्येक चीनी मिल क्षेत्र मे ट्रैश मल्चर की व्यवस्था चीनी मिल एवं विभाग के सहयोग से सुनिश्चित की जाय। ट्रेश मल्चिंग हेतु कृषकों को अधिकाधिक जागरूक किया जाय साथ ही साथ ट्रैंश मल्ंिचग एवं रैटून मैनेजमेन्ट डिवाईस (आर.एम.डी.) के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाय। इस हेतु गोष्ठी/कृषक मेला, पम्पलेट, दैनिक समाचार पत्रों, वाल पेन्टिंग, दूरदर्शन आदि के माध्यम से प्रचार-प्रसार करते हुए अधिक से अधिक कृषकों को गन्ने की सूखी पत्तियों को न जलाने की जानकारी प्रदान की जाय।

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