खुल गया सबरीमला मंदिर

सबरीमला (केरल),  कड़ी सुरक्षा के बीच, केरल के सबरीमला स्थित भगवान अयप्पा मंदिर दो महीने के तीर्थयात्रा सीजन के लिए शुक्रवार शाम को खुल गया  । राज्य की माकपा नीत एलडीएफ सरकार सभी के लिए निर्बाध तीर्थ यात्रा सुनिश्चित करने की तैयारी कर रही है।

कंदरारू महेश मोहनारारू गर्भगृह को खोलेंगे और पूजा करेंगे।

एक के सुधीर नंबूदिरी सबरीमाला मेलशांति और एम एस परमेश्वरन नंबुदिरी मलिकापुरम मेलशांति के रूप में कार्यभार संभालेंगे।

पदी पूजा के बाद तीर्थयात्रियों को 18 पवित्र सीढ़ियों पर चढ़ने और दर्शन करने की अनुमति होगी।

राज्य के पथनमथिट्टा जिले के पश्चिमी घाट में एक आरक्षित वन में स्थित पहाड़ी मंदिर के कपाट आज शाम 5 बजे के आसपास खोले जाएंगे। आज से दो महीने तक चलने वाला मंडलम मकरविलक्कू का सीजन शुरू हो रहा है।

केरल और पड़ोसी राज्यों के विभिन्न हिस्सों से भक्तों ने निलक्कल और पंबा में पहुंचना शुरू कर दिया है, लेकिन उन्हें दोपहर 2 बजे तक ही मंदिर के लिए रवाना होने दिया जाएगा।

पिछले साल एलडीएफ सरकार ने 28 सितंबर, 2018 को उच्चतम न्यायालय के फैसले को लागू करने का फैसला किया था, जिसमें सभी आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर में पूजा करने की इजाजत दी गई है। फैसले के बाद राज्य भर में और मंदिर के आस-पास दक्षिणपंथी संगठनों और भाजपा कार्यकर्ताओं ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया था।

सदियों से 10 से 50 वर्ष के रजस्वला उम्र वाली महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने पर रोक लगी थी।

इस साल, शीर्ष अदालत ने इस मामले में अपना फैसला नहीं सुनाते हुये मामले को एक वृहद पीठ के पास भेज दिया, लेकिन सरकार पूरी सतर्कता बरत रही है।

सरकार ने 10-50 आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर तक पहुंचने के लिए पुलिस सुरक्षा नहीं देने का फैसला किया है।

देवस्वओम मंत्री के. सुरेंद्रन ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि सबरीमला कार्यकर्ताओं के लिए अपना विरोध प्रदर्शित करने का स्थान नहीं है और कहा कि सरकार ऐसी महिलाओं को प्रोत्साहित नहीं करेगी जो प्रचार पाने के लिए धर्मस्थल की यात्रा करना चाहती हैं।



उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने बहुमत के निर्णय से सबरीमला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने के 2018 के फैसले पर पुनर्विचार की याचिका के साथ ही मुस्लिम और पारसी महिलाओं के साथ कथित रूप से भेदभाव करने वाले अन्य विवादास्पद मुद्दों को फैसले के लिये बृहस्पतिवार को सात सदस्यीय संविधान पीठ को सौंप दिया।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई द्वारा लिखे गये बहुमत के निर्णय में पुनर्विचार याचिकायें सात न्यायाधीशों की पीठ के लिये लंबित रखीं और 28 सितंबर, 2018 के बहुमत के फैसले पर रोक नहीं लगायी जो सभी आयु वर्ग की महिलाओं को इस धर्मस्थल की तीर्थयात्रा की अनुमति देता है।


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