लखनऊ : भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता संजय राय ने बताया कि आज सुप्रीम कोर्ट ने राफेल मामले में रिव्यू पेटिशन को रद्द कर दिया हे। यद्यपि कोर्ट ने पहले ही राफेल खरीद प्रकरण को सही ठहराते हुए सरकार को क्लीन चिट दिया था। परन्तु कांग्रेस और उससे संबंधित लोगों ने दुर्भावनावस सुप्रीम कोर्ट के सामने रिव्यू पेटिशन दाखिल किया था कि इस केस पर पुनर्विचार किया जाय। आज सुप्रीम कोर्ट की पाॅच सदस्यीय संविधान पीठ द्वारा पुनर्विचार याचिका खारिज होने के बाद राहुल गांधी एवं विपक्ष के उन नेताओं को देश की महान जनता से माफी मांगनी चाहिए, जिन्होंने लोकसभा चुनाव में राजनैतिक लाभ के लिए जान बूझकर गलत आरोप लगाते हुए चैकीदार चोर है का नारा उछल-उछल कर लगाया था। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद देश की जनता राहुल गांधी और विपक्ष के लोगों से जानना चाहती है कि जिस परिवार का हाथ अगस्ता वेस्टलैण्ड खरीद, सबमरीन खरीद एवं बोफोर्स तोप खरीद मामले में दलाली जैसे कुकृत्य में सना हुआ है। उन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जैसे स्वच्छ एवं ईमानदार छवि के लोगों पर बेबुनियाद आरोप लगाते समय कई बार सोचते हुए बचना चाहिए।
प्रदेश प्रवक्ता संजय राय ने बताया कि राहुल गांधी सहित कांग्रेस एवं विपक्ष के लोग लोकसभा चुनाव में जनता को भ्रमित करके जीत हासिल करना चाहते थे। यह देश ''सत्य मेव जयते'' पर विश्वास करता है अतः चुनाव में सत्य की जीत हुई और विपक्ष को मुंह की खानी पड़ी।
प्रदेश प्रवक्ता संजय राय ने बताया कि राफेल खरीद प्रकरण पर सीएजी की भी रिपोर्ट आई थी जिसमें किसी प्रकार की अनियमितता या घोटाले की बात नहीं की गई थी। सरकार के रक्षा मंत्री ने लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के एक-एक आरोप का सिलसिलेवार तथ्यात्मक जवाब दिया था, लेकिन चूंकि विपक्ष आरोप के लिए आरोप लगा रहा था जिससे चुनाव में नरेन्द्र मोदी जी को बदनाम करके वोट हासिल किया जा सके। इसलिए सभी तथ्यों को जानते हुए भी झूठा एवं मनगढंत आरोप लगा रहा था।
प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि सुप्रीमकोर्ट के निर्णय के बाद देश की जनता को एक बार पुनः असलियत का पता लग गया है जिसके कारण भविष्य में कांग्रेस सहित विपक्ष के अन्य दलों का जनाधार और घटने वाला है।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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