नयी दिल्ली, : विपक्षी दलों के नेताओं ने मंगलवार को राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू से मुलाकात कर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में फीस बढ़ोतरी के मामले पर उच्च सदन में चर्चा कराये जाने की मांग की।
इस मामले में वामदलों के कार्यस्थगन प्रस्ताव की मांग ठुकराये जाने के कारण सदन में हुये विपक्षी दलों के हंगामे के बाद नायडू ने सदन की बैठक सुबह शुरू होने के कुछ ही देर बाद दोपहर दो बजे तक के लिये स्थगित कर दी थी।
सभापति कार्यालय के सूत्रों ने बताया कि सदन की बैठक स्थगित होने के बाद विपक्ष के नेताओं ने जेएनयू के आंदोलनरत छात्रों पर पुलिस लाठीजार्च का मुद्दा सभापति के समक्ष उठाते हुये सदन में इस पर चर्चा कराने की मांग की।
सूत्रों के अनुसार, राज्यसभा में कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद की अगुवाई में विपक्षी नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने सभापति से इस मुद्दे पर सदन को तीन घंटे के लिये स्थगित करने के औचित्य पर भी सवाल उठाया। राकांपा के शरद पवार, कांग्रेस के आनंद शर्मा, तृणमूल कांग्रेस के सुखेन्दु शेखर राय, माकपा के टी के रंगराजन और आप के संजय सिंह सहित अन्य दलों के नेताओं ने नायडू ने इस मुद्दे पर सदन में विपक्ष को अपनी बात रखने का मौका देने का अनुरोध किया।
राज्यसभा सचिवालय के सूत्रों के अनुसार, नायडू ने कहा कि वह जेएनयू का मामला शून्यकाल में उठाने की अनुमति पहले ही दे चुके हैं। यह मामला कार्यस्थगन के लिये उपयुक्त नहीं है।
सूत्रों के अनुसार, नायडू ने विपक्ष के नेताओं को ध्यान दिलाया कि सदन की कार्यवाही के बारे में सभी दलों के नेताओं के साथ हुयी बैठक में भी विपक्षी दलों ने आश्वस्त किया था कि वे इस मामले में आसन के समीप आने के बजाय सकारात्मक चर्चा में हिस्सा लेंगे।
सूत्रों के अनुसार, नायडू ने प्रश्नकाल भी विपक्षी दलों के हंगामे की भेंट चढ़ने पर क्षोभ व्यक्त करते हुये विपक्ष के नेताओं से महत्वपूर्ण मुद्दों पर सदन में सकारात्मक चर्चा कराने का माहौल बरकरार रखने की अपील की।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
टिप्पणियाँ