नयी दिल्ली, : फीस वृद्धि के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्रों पर पुलिस कार्रवाई को लेकर राज्यसभा की कार्यवाही मंगलवार को बाधित हुई। विपक्षी दलों के नेताओं ने एक लोकतांत्रिक आंदोलन को ''दबाने'' के लिए मोदी सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन की आलोचना की।
हालांकि, सत्तारूढ़ भाजपा के नेताओं ने संदेह जताया। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने आरोप लगाया कि कुछ लोग जेएनयू को ''शहरी नक्सलवाद'' का केंद्र बनाना चाहते हैं।
उन्होंने एक समाचार चैनल से कहा, ''जेएनयू में जो कुछ हो रहा है उसके लिए छात्रावास फीस बढ़ोतरी एक बहाना है। कुछ लोग जेएनयू को शहरी नक्सलवाद का केंद्र बनाना चाहते हैं। यह वही जेएनयू है जहां 'भारत तेरे टुकड़े होंगे' के नारे लगे थे और जहां अफजल गुरु की बरसी मनायी गई थी।''
आप के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने छात्रों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई की आलोचना की और आरोप लगाया कि ऐसा पहली बार हुआ है जब विश्वविद्यालय के छात्रों को उनकी उचित मांगों को उठाने के लिए ''बेरहमी से पीटा'' गया।
सिंह ने कहा, ''यह वही दिल्ली पुलिस है जो यह शिकायत कर रही थी कि वकीलों द्वारा हमला किये जाने के बाद उनकी वर्दी पर धब्बा लगा है। एक दृष्टि बाधित छात्र सहित बेगुनाह छात्रों को पीटने से उनकी वर्दी पर धब्बा नहीं लगा।''
राष्ट्रीय राजधानी में प्रदर्शनकारी जेएनयू छात्रों पर कथित पुलिस कार्रवाई और जम्मू कश्मीर में नेताओं की हिरासत को लेकर विपक्ष के हंगामे के चलते राज्यसभा की कार्यवाही मंगलवार को अपराह्न दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई थी।
भाकपा महासचिव डी राजा ने कहा कि छात्रों पर पुलिस बल का इस्तेमाल बर्बर और अभूतपूर्व है।
उन्होंने कहा, ''मोदी सरकार और जेएनयू प्रशासन को यह समझना चाहिए कि छात्र न केवल अपने लिये बल्कि अपने समुदाय के भविष्य के लिए भी लड़ रहे हैं।''
राजा ने आरोप लगाया कि जेएनयू प्रशासन अपना ''एजेंडा'' थोपने के लिए छात्रों की असहमति की लोकतांत्रिक आवाज को पुलिस बल का इस्तेमाल करके ''दबाने'' का प्रयास कर रहा है जो कि विश्वविद्यालय के लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।
जेएनयू के छात्र छात्रावास फीस वृद्धि को पूरी तरह से वापस लेने की मांग को लेकर सोमवार को जब संसद की ओर मार्च कर रहे थे तब पुलिस ने करीब 100 छात्रों को हिरासत में ले लिया जबकि पुलिस द्वारा कथित रूप से किये गए लाठीचार्ज में कुछ छात्र घायल हो गए।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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