बेंगलुरु, : कर्नाटक में पांच दिसंबर को 15 सीटों पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव में 10 निर्वाचन क्षेत्रों के लिये अपने उम्मीदवारों की घोषणा करते हुए जद (एस) नेता एच डी कुमारस्वामी ने बृहस्पतिवार को कहा कि उनकी पार्टी को राज्य में कांग्रेस और भाजपा ''नजरअंदाज'' नहीं कर सकती। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि अयोग्य करार दिये गये विधायकों को हराना उनकी और उनकी पार्टी की रणनीति है।
इन विधायकों की बगावत के चलते कुमारस्वामी को जुलाई में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के लिये मजबूर होना पड़ा था।
कुमारस्वामी ने कहा कि जद(एस) दोनों राष्ट्रीय पार्टियों (कांग्रेस और भाजपा) से समान दूरी बनाए रखते हुए यह उपचुनाव लड़ रही है।
पार्टी ने भाजपा के बागी नेता शरत बाचेगौड़ा का समर्थन करने का फैसला किया है, जो होस्कोट सीट से बतौर निर्दलीय उम्मीदवार उपचुनाव लड़ रहे हैं।
जद (एस) शेष चार सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा शुक्रवार को करेगी।
कांग्रेस और जद(एस) के अयोग्य करार दिये गये 15 विधायकों की सीटों पर पांच दिसंबर को उपचुनाव होना है।
कुमारस्वामी ने कहा, ''हम चुनाव मैदान में उतर रहे हैं और चुप नहीं बैठेंगे, हम संघर्ष कर आए हैं। हम कांग्रेस, भाजपा और जद(एस) के योगदान के बारे में लोगों के समक्ष चर्चा करेंगे। ''
उम्मीदवारों की सूची घोषित करने के बाद संवाददाताओं से उन्होंने कहा, ''भले ही हमारी एक छोटी क्षेत्रीय पार्टी हो लेकिन कर्नाटक की राजनीति में ये दोनों राष्ट्रीय दल हमें नजरअंदाज नहीं कर सकते। यदि उन्हें लगता है कि वे जद (एस) को दूर रख कर कुछ हासिल कर सकते हैं, तो यह नहीं हो सकता।''
उन्होंने कहा, ''कोई भी इस पार्टी :जद(एस):को आसानी से उखाड़ नहीं सकता, इसकी जड़ें गहराई तक हैं।''
कुमारस्वामी ने कहा कि यह उपुचनाव भाजपा, कांग्रेस और जद(एस) की क्षमताओं की परीक्षा है।
उन्होंने कहा कि 10 दिसंबर के बाद पार्टी लोगों के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करेगी।
उच्चतम न्यायालय के निर्णय पर बुधवार को पार्टी प्रमुख एच डी देवगौड़ा की एक टिप्प्णी पर भी कुमारस्वामी ने स्पष्टीकरण दिया।
दरअसल, कुमारस्वामी के पिता देवगौड़ा ने कहा था कि येदियुरप्पा और सिद्धरमैया क्रमश: मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता के तौर पर शेष साढ़े तीन साल के लिये सुरक्षित हैं।
कुमारस्वामी ने कहा कि इसका यह मतलब नहीं है कि जद(एस) ने भाजपा के आगे आत्मसमर्पण कर दिया है। किसी भी राष्ट्रीय दल से कोई सहयोग नहीं होगा।
उन्होंने सिद्धरमैया के कथित 'अहंकार' पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि येदियुरप्पा और बी श्रीरामुलू 2013 के विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा से अलग नहीं हुए होते, तो कांग्रेस 70-75 सीटों पर सिमट गई होती।
कुमारस्वामी ने कहा, ''गठबंधन सरकार का मुख्यमंत्री बनने के बाद वे (सिद्धरमैया और उनके सहयोगी) मुझसे किस तरह का बर्ताव करते थे यह सबको पता है।''
उन्होंने कहा कि उनकी और उनकी पार्टी की रणनीति कांग्रेस-जद(एस) के अयोग्य करार दिये गये विधायकों को हराना है, जिन्हें भाजपा ने उपचुनाव में अपना उम्मीदवार बना कर उतारा है।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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