पणजी, : गोवा के पर्यटन मंत्री मनोहर अजगांवकर ने बृहस्पतिवार को कहा कि उनके विभाग ने उत्तरी गोवा जिले के खूबसूरत पर्रा गांव में तस्वीरें खींचने पर 'स्वच्छता कर' लगाने की अनुमति नहीं दी है।
अजगांवकर ने पीटीआई-भाषा को बताया कि पर्यटन विभाग इस बात की जांच करेगा कि दिवंगत मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के पैतृक गांव, पर्रा की पंचायत इस तरह का कर कैसे लगा रही है।
यह मामला बुधवार को सामने आया जब गोवा के कुछ कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया पर यह मुद्दा उठाया कि पर्रा गांव पंचायत ने अपने सीमाक्षेत्र में तस्वीरें खींचने या वीडियो शूट करने पर कर लगाना शुरू कर दिया है।
गांव की मुख्य सड़क पर लगाए गए एक बोर्ड पर लिखा है, “फिल्म शूटिंग एवं फोटो शूट पर स्वच्छता कर/ स्वच्छ पार्रा मिशन कर लगाया जाएगा। यह कर व्यक्तियों और व्यवसाय के हिसाब से अलग-अलग होगा।”
अजगांवकर ने इसे गंभीरता से लेते हुए कहा, “मेरे विभाग ने ऐसा कोई कर लगाने के लिए किसी प्रकार की अनुमति नहीं दी है। हम इसकी जांच करेंगे।”
मंत्री ने कहा, “अगर प्रत्येक पंचायत इस तरह के अपने -अपने कर लगाना शुरू कर देगी तो यह राज्य के पर्यटन क्षेत्र के लिए नुकसानदायक होगा।”
हालांकि पर्रा गांव पंचायत के एक प्रतिनिधि ने कहा कि यह कर इसलिए लगाया गया क्योंकि पर्यटक अपने पीछे यहां कूड़ा-करकट छोड़ जाते हैं।
उन्होंने कहा, “कर वसूली से मिली राशि का इस्तेमाल यहां की सफाई में किया जाएगा। हम हमारी जगह को साफ रखने के लिए सरकार की ओर से धन दिए जाने पर निर्भर नहीं रहना चाहते। हम कर लगा कर इसे अपने संसाधनों के जरिए कर रहे हैं।”
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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