समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से आज गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के पदाधिकारियों तथा प्रमुख नेताओं ने भेंट की और समाजवादी पार्टी के साथ पूरा सहयोग करने का भरोसा दिलाया। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी भाजपा-कांग्रेस के राजनीतिक विकल्प के रूप में उभरेगी।
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हीरासिंह मरकाम के पुत्र तुलेश्वर सिंह मरकाम और भतीजे श्री श्यामसिंह मरकाम सहित प्रदेश अध्यक्ष रामनाथ गोंड, प्रदेश महासचिव महेन्द्र कुमार ध्रुवे और सर्वश्री मदन गोंड, (दिल्ली) रामनाथ गोंड, लोकबहादुर गोंड, घनश्याम गोंड, मुकेश गोंड तथा डाॅ0 बलराम गोंड ने अखिलेश यादव से मुलाकात की। इस अवसर पर एम.एल.सी. डाॅ0 राजपाल कश्यप भी उपस्थित रहे।
गोंड प्रतिनिधियों का कहना था कि जनजातियों को वन अधिनियम के कारण तमाम तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। उनका कई स्तरों पर उत्पीड़न होता है।
अखिलेश यादव ने कहा कि हक और सम्मान की सामाजिक न्याय की विचारधारा के लिए समाजवादी पार्टी प्रतिबद्ध है। हम जनसंख्या के आधार पर जनगणना की मांग इसीलिए उठाते हैं ताकि सही संख्या के अनुपात में लोगों को लाभ मिल सकें।
यादव ने कहा कि जनजातियों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से कई समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं। केन्द्र और राज्य में सत्तारूढ़ सरकारों को उनके हित में जो कदम उठाने चाहिए नहीं उठाये जा रहे है। वन अधिनियम का सहारा लेकर नौकरशाही जनजातियों का बहुत उत्पीड़न करती है। समाजवादी पार्टी जनजातियों के हितों के संरक्षण के लिए उनके हर संघर्ष में साथ रहेगी।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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