नई दिल्ली : एसपीजी विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए द्रमुक के ए राजा ने आरोप लगाया कि एसपीजी सुरक्षा को राजनीतिक रंग दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि जिन लोगों की एसपीजी सुरक्षा हटाई गई, उनकी पूरी सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए।
तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि जो लोग स्टेटस सिंबल के लिए सुरक्षा ले रहे हैं उनकी सुरक्षा की समीक्षा होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में बहुत सारे लोगों को सीआरपीएफ की सुरक्षा दी जा रही है, इस पर सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए।
वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के जी माधव ने कहा कि यह विधेयक एसपीजी को और प्रभावी बनाने के लिए लाया गया है, इसलिए उनकी पार्टी इसका समर्थन करती है।
जदयू के राजीव रंजन सिंह ने कहा कि एसपीजी कवर का बार बार विस्तार किया गया जो उचित नहीं है।
उन्होंने कहा कि अगर एसपीजी सुरक्षा को सिर्फ प्रधानमंत्री तक सीमित रखा जाता तो बेहतर होता, लेकिन सरकार ने उदारता दिखाते हुए पूर्व प्रधानमंत्रियों को भी पांच साल के लिए इसके दायरे में ला दिया।
भाजपा के जगदंबिका पाल ने कहा कि विधेयक की मूल भावना बरकरार है और सरकार सभी की सुरक्षा की गारंटी लेती है।
आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन ने कहा कि पहले के कानून में ही यह व्यवस्था थी कि सुरक्षा के खतरे के आकलन के आधार पर एसपीजी सुरक्षा को हटाया या रखा जा सकता है।
भाजपा के राजीव प्रताप रूडी ने कहा कि इसी संसद ने प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए संकल्प लिया था और यह विधेयक इसी से जुड़ा है।
अन्नाद्रमुक के रवींद्रनाथ, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के हनुमान बेनीवाल, कांग्रेस के गौरव गोगोई और माकपा के पीआर नटराजन ने भी चर्चा में भाग लिया।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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