नयी दिल्ली, : वकीलों पर दो नवम्बर को हुई झड़प के दौरान कथित तौर पर गोली चलाने वाले पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी की मांग कर रहे दिल्ली की जिला अदालतों के वकीलों ने बुधवार को भी कामकाज का बहिष्कार जारी रखा।
'ऑल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट बार एसोसिएशन' की समन्वय समिति के महासचिव धीर सिंह कसाना ने बताया कि सभी जिला अदालतों के वकील बुधवार को पटियाला हाउस से इंडिया गेट तक मार्च कर सकते हैं।
कसाना ने कहा, ''हमारे सहयोग के बावजूद, वकीलों पर गोली चलाने वाले पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। इसलिए दिल्ली की सभी जिला अदालतों में पूरी तरह कार्य बहिष्कार जारी रहेगा। हमारी मांग थी कि वकीलों पर गोली चलाने वाले पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया जाए। पुलिस अधिकारियों ने इसका विरोध किया। इसलिए हम काम का बहिष्कार कर रहे हैं।''
कसाना ने कहा कि रविवार को 'ऑल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट एसोसिएशन' के सदस्यों, दिल्ली पुलिस के प्रतिनिधियों और उपराज्यपाल अनिल बैजल के बीच बैठक में कोई समाधान नहीं निकल सका, जिसके चलते यह हड़ताल जारी रही।
गौरतलब है कि दो नवंबर को हुए टकराव में कम से कम 20 पुलिसकर्मी और कई वकील घायल हुए थे। इसके विरोध में छह जिला अदालतों के वकील चार नवंबर से हड़ताल पर हैं।
वहीं दिल्ली पुलिस के विरोध प्रदर्शन में, उसके हजारों कर्मियों ने पांच नवंबर को 11 घंटे के लिए पुलिस मुख्यालय के बाहर घेराबंदी की थी। यह घेराबंदी अपने सहयोगियों पर वकीलों के कथित दो हमलों के विरोध में थी।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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