लखनऊ : उ0प्र0 कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि कर्मचारियों की 2300 करेाड़ रूपये की भविष्य निधि योगी सरकार में ही निवेश की गयी थी। जारी प्रेस नोट में उन्होने कहा कि 07 अक्टूबर 2017 से दिसम्बर 2018 तक हुए निवेश में कर्मचारियांे की 2300 करोड़ रूपये की भविष्य निधि फंसने की जिम्मेदार योगी सरकार ही है। परन्तु पूरी सरकार ऊर्जा मंत्री समेत सभी जिम्मेदार और जवाबदेह लोगों को बचा रही है। उन्होने कहा कि इस पूरे मामले में तत्काल ऊर्जा मंत्री श्रीकान्त शर्मा को बर्खास्त किया जाए।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि कर्मचारियों के खून-पसीने की कमाई पर चुप्पी साधकर मुख्यमंत्री आखिर किसे बचाना चाहते हैं, अब यह साफ हो गया। उन्होने कहा कि योगी सरकार आने के बाद कर्मचारियेां का पैसा डीएचएफएल में फंसा है। जिसका लेखा-जोखा अब जगह-जगह से आने लगा है। 07 अक्टूबर 2017 से दिसम्बर 2018 तक 2300 करोड़ रूपया डीएचएफएल में जमा हुआ और यह भविष्य निधि का पैसा फंस गया। आखिर सरकार अपनी करतूत से कब तक बच सकती है।
उन्होंने कहा कि एक तरफ डीएचएफएल अपनी तरफ से अपने पक्ष में एक नोट जारी करती है पर जिम्मेदारी तो सरकार की होनी चाहिए। आखिर वह इस पूरे मामले पर श्वेत पत्र जारी करने से क्यों कतरा रही है? आखिर दोषियों पर कार्यवाही क्यों नहीं हो रही है? मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तत्काल प्रभाव से ऊर्जा मंत्री को बर्खास्त क्यों नहीं कर रहे हैं? चेयरमैन आलोक कुमार पर इतनी मेहरबानी क्यों है? ऐसे तमाम सवाल हैं जिनका जवाब सरकार के पास नहीं है।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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