नयी दिल्ली, : 'कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट' (सीएलएटी) का आयोजन अगले साल 10 मई को किया जाएगा। इस बाबत अधिसूचना इस साल दिसंबर के अंतिम हफ्ते में जारी की जाएगी।
'कन्सोर्टियम ऑफ नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी' की ओर से बृहस्पतिवार को जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि सीएलएटी, 2020 की परीक्षा 10 मई 2020 को रविवार के दिन आयोजित की जाएगी। एक जनवरी से ऑनलाइन फॉर्म उपलब्ध होंगे।
विज्ञप्ति में बताया गया है कि कन्सोर्टियम ऑफ नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष और हैदराबाद के नलसार विधि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो फैजान मुस्तफा की अध्यक्षता में बेंगलुरु में 'कन्सोर्टियम ऑफ एन एल यू' की बैठक में इस बाबत निर्णय किया गया है।
इसमें बताया गया है कि दिसंबर के अंतिम हफ्ते में परीक्षा के लिए अधिसूचना जारी की जाएगी।
सीएलएटी 2020 में प्रश्नों की संख्या को 200 से घटाकर 120-150 कर दिया गया है।
प्रो मुस्तफा ने कहा कि 120 मिनट में छात्र से 200 सवाल करना सही नहीं है। इससे छात्रों पर काफी मानसिक दबाव पड़ता है।
विज्ञप्ति के मुताबिक इस बैठक में, भोपाल स्थित एनएलआईयू के कुलपति प्रो वी विजयकुमार को कन्सोर्टियम ऑफ नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी का नया अध्यक्ष निर्वाचित किया गया है, जबकि पंजाब के आरजीएनयूएल के कुलपति प्रो परमजीत एस जायसवाल इसका उपाध्यक्ष चुना गया है।
वहीं, सीएलएटी 2020 का संयोजक जबलपुर स्थित धर्मशाला राष्ट्रीय कानून विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो बलराज चौहान को चुना गया है।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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