अमरोहा। पुलिस अधीक्षक कार्यालय पर मंगलवार को थाना रजबपुर इलाके के गांव पट्टी सादात निवासी इंडियन आर्मी का जवान असवीर सिंह पहुंचा। जवान असवीर सिंह का कहना है कि वह इंडियन आर्मी में अपनी ड्यूटी पर तैनात था, तभी उसको जानकारी हुई कि उसके पिता की तबीयत बहुत खराब है। इसलिए वह छुट्टी लेकर घर आ गया। इस बीच उसके पास 13 नवंबर को तीन नंबरों से धमकी भरे फोन आये। उसी दिन उसके पास एक और नए नंबर से फोन आया। उस नए नंबर वाले व्यक्ति से जब असवीर सिंह ने बात की तो उसने अपना नाम काविन्द्र बताया और उससे कहा कि मैं तेरा रिश्ते का चाचा लगता हूं, और तुझसे मिलना चाहता हूँ, जब असवीर सिंह उससे मिलने गया तो काविन्द्र सहित 5 लोगो ने उसे रोका। जब वह अपनी गाड़ी से उतरा तो काविन्द्र सहित पांच लोगो ने उससे गाली-गलोच देना शुरू कर दिया। असवीर सिंह ने उनसे मना किया तो उन लोगो ने उसे लात-घुसो से मारना पीटना शुरू कर दिया, वह बमुश्किल अपनी जान बचाकर अपनी गाड़ी लेकर भागा, तभी उन लोगो ने जान से मारने की नियत से फायर झोंक दिया, लेकिन गोली नहीं लगी और वह बच गया। जब वह इस मामले की रिपोर्ट दर्ज कराने रजबपुर थाने पहुंचा तो पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज नहीं की। इस मामले में 15 नबम्बर को एडिशनल एस.पी से भी शिकायत की थी लेकिन अभी तक आरोपियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गयी है। इसलिए आज वह अपने परिजनों व ग्रामीणों के साथ एसपी कार्यालय पहुंचा।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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