स्थानीय निकाय चुनाव प्रक्रिया पर उठे आपसी विवाद व फिर से टोल वसूली से कांग्रेस को झटका लग सकता है।            



जयपुर। - राजस्थान मे आर्थिक रुप से पिछड़े तबके के आरक्षण की जटिलता को खत्म करने से प्रभावित तबके मे कांग्रेस के प्रति पनपे समर्थन का खीवंसर उपचुनाव मे ठीक से उपयोग नही होनै के पीछे स्थानीय निकाय चुनाव प्रक्रिया पर सरकार के आदेश के खिलाफ मंत्रियों व प्रदेशाध्यक्ष पायलट के खुले तौर पर विरोध मे आकर खड़े होने से अखबारों मे विवाद को प्रमुखता के साथ छपने के बाद मतदाताओं मे अलग ही बहस छिड़ने को प्रमुख मुद्दा राजनीतिक समीक्षक मान कर चल रहे है।
          राजस्थान की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने करीब अठारह महिने पहले जनता के अंदर टोल टेक्स के खिलाफ उठ रहे ज्वार भाटा की तरह सूलगती आग को भांप कर निजी वाहने के लिये प्रदेश के बावन स्टेट हाइवे पर टोलटैक्स मे छूट देने के आदेश जारी किये थे। लेकिन अब आर्थिक तंगी बताकर अशोक गहलोत सरकार ने निजी वाहनो पर स्टेट हाइवे पर फिर टोलटैक्स लगाने से जनता मे इसके खिलाफ आवाज उठने लगी है। जिससे नवम्बर माह मे स्थानीय निकाय चुनाव मे कांग्रेस को नुकसान हो सकता है।
        साबिक चीफ मिनिस्टर वसुंधरा राजे के अपने अंतिम बजट के बाद वित्तीय विधेयक पेश करते समय स्टेट हाइवे पर निजी वाहनो पर छूट देने के बाद आज अशोक गहलोत सरकार के मंत्रिमंडल आज्ञा जारी होने के  एक नवम्बर से टोलटैक्स लगना शुरू हो सकता है। इससे 300 करोड़ का सालाना राजस्व आने का अनुमान बताया जा रहा है। एक तरफ एक नवम्बर को स्थानीय निकाय चुनाव के लिये नामांकन प्रक्रिया शूरु होगी उसी तरर एक नवम्बर से ही करीब 52 स्टेट हाइवो पर फिर से निजी वाहनो पर टोल लगना शुरु हो सकता है। अनुमान के मुताबिक़ प्रदेश मे करीब 15-हजार किमी लम्बे स्टेट हाइवे पर 150 से अधिक टोल बूथ कायम है।इनसे करीब दो लाख वाहन गूजरते है।
                भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पुनीया ने इसे सरकार के टोल माफियाओं के सामने हथियार डालना व पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कांग्रेस व भाजपा सरकार मे अंतर को समझाते हुये कहा कि हमने घरेलू वाहनो को टोल मुक्त किया ओर कांग्रेस सरकार उन्हें टोल युक्त कर रही है। गहलोत की राजनीति पर नजर रखने वाले बताते है कि गहलोत अपने मुख्यमंत्री काल मे जनहित की अनेक अच्छी योजनाओं का संचालन करने के बावजूद उनके खजाना खाली वाले चर्चित बोल के क्रियान्वयन के तहत एक दो कदम ऐसा उठा लेने से जनता के दिलो को छूने लगने को भाजपा मुद्दा बना कर अपने पक्ष मे माहोल बना लेती है। अन्य कुछ वजह के साथ इस वजह के कारण भी मुख्यमंत्री गहलोत कांग्रेस सरकार को रिपिट नही कर पाते है। घरेलू वाहनो पर फिर से टोल लगाने से स्थानीय निकाय चुनाव मे कांग्रेस को झटका लग सकता है।
                   कुल मिलाकर यह है कि नवम्बर माह मे कुल 49 स्थानीय निकायो मे चुनाव होने जा रहे है। जिनमे वर्तमान मे 21 पर कांग्रेस व 21 पर भाजपा का कब्जा है। बाकी साथ पर अन्यो का कब्जा है। हाईब्रिड प्रक्रिया लागू होने के बाद कांग्रेस का वर्तमान 21 से बढकर 31 स्थानीय निकायो पर कम से कम कब्जा होना माना जा रहा था। लेकिन घरेलू वाहनो पर टोल शुरू करने का असर मतदाताओं मे नकारात्मक पड़ा तो सत्ता के प्रभाव के बावजूद कांग्रेस को झटका लग सकता है।


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