सीकर- महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव मे मराठवाड़ा के जालना जिले मे कांग्रेस को फिर से ऊंचाई देकर वहां से कांग्रेस उम्मीदवार को जीताकर पार्टी की जड़ो को हरा करने की नीयत से आल इण्डिया कांग्रेस कमेटी ने सीकर के किसान पुत्र व पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुभाष महरिया को जालना का प्रभारी बनाकर भेजा। जहां महरिया ने उम्मीदवार के साथ ऐसी व्यूरचना बनाकर चुनाव लड़ा जैसे वो स्वयं वहां से उम्मीदवार हो।
सीकर मे नये बने नगरपरिषद भवन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मोजूदगी मे होने वाले उद्घाटन समारोह मे शिरकत करने के बजाय जालना जाकर वहां के कांग्रेस उम्मीदवार के चुनाव प्रबंधन को सम्भाल वहां से कांग्रेस को फतेह कराने को अधिक तरजीह दी थी। जिसके परिणाम सार्थक निकले ओर परिणाम आने पर कांग्रेस उम्मीदवार के सर काफी मतो के अंतर से जीत का सहरा बंधा।
सुभाष महरिया की तरह ही राजस्थान सरकार के शिक्षा मंत्री गोविंदसिंह डोटासरा को मंडावा उपचुनाव का प्रभारी बनाने के बाद उन्होने चुनावी व्यूरचना को अलग तरह से अंजाम दिया। जिसके बल पर 2008 के बाद एक दफा फिर मंडावा से कांग्रेस उम्मीदवार के सर विजय का सहरा बंधा है।
कुल मिलाकर यह है कि सीकर के दो किसान पुत्रो मे से पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुभाष महरिया व राजस्थान के शिक्षा मंत्री गोविंद डोटासरा ने अपने अपने प्रभार वाली जालना व मंडावा विधानसभा मे कांग्रेस की जीत का परचम लहराने मे अहम किरदार अदा करके कांग्रेस की जड़ो को खाद व पानी दिया है।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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