व्यय सचिव गिरीश चंद्र मुर्मू और पूर्व रक्षा सचिव राधा कृष्ण माथुर को क्रमश: जम्मू कश्मीर और लद्दाख का उपराज्यपाल नियुक्त किया गया है। यह जानकारी शुक्रवार को एक आधिकारिक विज्ञप्ति में दी गई।
राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि जम्मू कश्मीर के वर्तमान राज्यपाल सत्यपाल मलिक को गोवा का राज्यपाल बनाया गया है।
मुर्मू गुजरात काडर के 1985 बैच के अधिकारी हैं। वहीं त्रिपुरा काडर के 1977 बैच के अधिकारी माथुर रक्षा सचिव के तौर पर कार्य कर चुके हैं और पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त (सीआईसी) हैं।
मुर्मू इस वर्ष नवम्बर में सेवानिवृत्त होने वाले थे। वहीं माथुर गत वर्ष नवम्बर में केंद्रीय सूचना आयोग से सेवानिवृत्त हुए थे।
दोनों केंद्र शासित प्रदेश 31 अक्टूबर को अस्तित्व में आ जाएंगे। मोदी सरकार ने गत पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान समाप्त कर दिये थे और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था।
केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जारी एक अन्य आदेश के अनुसार गुप्तचर ब्यूरो के पूर्व प्रमुख एवं केंद्र सरकार की ओर से जम्मू कश्मीर के लिए नियुक्त वार्ताकार किये गए दिनेश्वर शर्मा को लक्षद्वीप का प्रशासक नियुक्त किया गया है।
राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी बयान में कहा गया कि भाजपा केरल इकाई अध्यक्ष पी एस श्रीधरन पिल्लई को मिजोरम का नया राज्यपाल नियुक्त किया गया है।
असम के राज्यपाल जगदीश मुखी मिजोरम का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे थे।
मलिक गोवा के राज्यपाल का प्रभार संभालेंगे। वह मृदुला सिन्हा का स्थान लेंगे।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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