महाराष्ट्र विधानसभा की 288 में से 161 सीटें जीतने के साथ भगवा गठबंधन ने बहुमत के लिये जरूरी आंकड़ा आसानी से पार कर लिया है लेकिन इस बार भाजपा की अपनी गठबंधन सहयोगी शिवसेना पर निर्भरता कुछ ज्यादा है क्योंकि पिछली बार जहां भाजपा की 122 सीटें थी वहीं इस बार उसके खाते में सिर्फ 105 सीटें आई हैं।
शिवसेना की सीटों का आंकड़ा भी पिछली बार के मुकाबले 63 से घटकर 56 हुआ है लेकिन राजग सरकार की स्थिरता के लिये उसकी भूमिका महत्वपूर्ण होने वाली है।
ठाकरे ने गुरुवार को भाजपा को लोकसभा चुनावों से पहले शाह के साथ बैठक में तय फॉर्मूले की याद दिलाई और कहा कि उन्होंने राज्य में गठबंधन के लिये 50-50 के फॉर्मूले का फैसला लिया था।
ठाकरे ने कहा, “हम कम सीटों (भाजपा के मुकाबले) पर लड़ने को सहमत हुए, लेकिन मैं हर बार भाजपा के लिये ऐसा नहीं कर सकता। मुझे अपनी पार्टी को भी आगे बढ़ाना है।”
अपनी वरिष्ठ सहयोगी पर निशाना साधते हुए शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' में कहा कि नतीजों की घोषणा से पहले जैसा भाजपा ने दावा किया था, वैसा कोई “महा जनादेश” नहीं है और नतीजे वास्तव में “सत्ता के अहंकार” में डूबे लोगों पर एक चोट हैं।
शिवसेना सांसद संजय राउत ने एक कार्टून अपने ट्विटर अकाउंट पर पोस्ट किया है। इसमें एक बाघ (शिवसेना के चुनाव चिह्न) को दिखाया गया है जिसने घड़ी (राकांपा का चुनाव चिह्न) का एक लॉकेट पहना हुआ है और अपने पंजे में लिए कमल के फूल (भाजपा के चुनाव चिह्न) को सूंघ रहा है।
उन्होंने यद्यपि संकेत दिया कि यह कार्टून मजाक में पोस्ट किया गया था।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
टिप्पणियाँ